जस्ट लिविंग माइ ड्रीम
बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्होंने बचपन में डॉक्टर या साइंटिस्ट बनने के सपने देखे होंगे। उनमें से शायद कुछ ही ऐसे होंगे जिनके सपने वा$कई में पूरे हुए होंगे।
बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्होंने बचपन में डॉक्टर या साइंटिस्ट बनने के सपने देखे होंगे। उनमें से शायद कुछ ही ऐसे होंगे जिनके सपने वा$कई में पूरे हुए होंगे। बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर जुबिन नौटियाल उन कुछ लकी लोगों में से हैं जिन्होंने अपने बचपन के सपने को बहुत कम उम्र में ही पूरा कर दिखाया है। जहां इंडस्ट्री में आवाज़ ही उनकी असली पहचान है, वहीं फ्रेंड्स और फैंस में उनकी स्माइल भी बहुत पॉपुलर है। पेश है जुबिन से हुई एक्सक्लूसिव मुला$कात के कुछ ख़्ाास अंश।
देहरादून में जन्मे जुबिन ने म्यूजि़क को एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ क्लासिकल म्यूजि़क में अपना बेस स्ट्रॉन्ग किया था। ए.आर.रहमान की सलाह मान चार साल तक अच्छी तरह से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाना शुरू किया। फिल्म सोनाली केबल के 'एक मुला$कातÓ, किस किस को प्यार करूं के 'समंदरÓ, द शौकींस के 'मेहरबानीÓ, फितूर के 'तेरे लिएÓ, बजरंगी भाईजान के 'जि़ंदगी कुछ तो बताÓ और जज़्बा के 'बंदेयाÓ जैसे गानों ने इंडस्ट्री में जुबिन को पहचान दिलवाई।
चार साल की नन्हीं सी उम्र में सिंगर बनने का इतना बड़ा सपना देखना मामूली बात नहीं है। आपको इसकी इंस्पिरेशन कहां से मिली?
बचपन से ही मैं अपनी फैमिली के बहुत क्लोज़ हूं। मेरे पापा का म्यूजि़क में इंट्रेस्ट रहा है। ऐसे में उनका शैक मेरा भी हो गया। उन्हीं को देखकर मैंने माइंड मेकअप कर लिया कि मुझे इसी में कुछ करना है। मेरी बात को मज़ा$क में न लेकर मेरे घरवालों ने हमेशा मुझे संगीत सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके लिए देहरादून के अलावा मैं चेन्नई, यू.के. और बनारस तक गया।
करियर की सीरियसनेस में आप अपनी स्कूल लाइफ एंजॉय कर पाए?
मैं आज भी अपने स्कूल और फ्रेंड्स के कनेक्शन में हूं। मैंने अपनी स्कूल लाइफ में अपने दोस्तों के साथ मिलकर बहुत ही ज़्यादा मस्ती और शैतानियां की हैं। जब पकड़ा जाता था, टीचर्स से ख़्ाूब डांट पड़ती थी।
कभी-कभी घर पर शिकायत भी हो जाती थी। डांट का असर कुछ देर रहता था, अगले दिन तक सब नॉर्मल हो जाता था और दिमा$ग में नई शैतानी की प्लैनिंग चलने लगती थी।
आप अपने स्कूल डेज़ से सबसे ज़्यादा क्या मिस करते हैं?
मैं अपने फ्रेंड्स और उन $गैर-जि़म्मेदाराना दिनों की इनोसेंस बहुत मिस करता हूं। सच में, तब न तो कोई टेंशन होती थी और न ही कोई रिस्पॉन्सिबिलिटी।
आवाज़ और स्माइल के अलावा ऐसी कौन सी चीज़ है जिसकी वजह से आपके दोस्त आज भी आपसे जुड़े हुए हैं?
शायद मेरा नेचर। मैं जैसा पहले था, आज भी वैसा ही हूं। मैं कभी नहीं बदलूंगा। कितना भी बिज़ी शेड्यूल क्यों न हो, मैं कोशिश करता हूं कि उसमें से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के लिए टाइम निकाल सकूं।
आप अपनी स्ट्रेंथ किसे मानते हैं?
मेरी स्ट्रेंथ मेरी फैमिली, म्यूजि़क और फ्रेंड्स हैं। मेरे पेरेंट्स और दोनों सिस्टर्स ने हमेशा मेरा सपोर्ट किया। मुझ पर कभी भी किसी तरह का प्रेशर नहीं रहा।
आपके फैंस की कमी नहीं है, कोई क्रेज़ी फैन मोमेंट शेयर करिए।
एक बार लाइव परफॉर्मेंस के दौरान कुछ फीमेल फैंस ने मुझे घेर लिया था। धक्का-मुक्की में मेरे कपड़े तक फट गए थे। यह मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। पर, उसके बाद से मैैं का$फी एलर्ट रहने लगा।
देहरादून आपका होम टाउन है और मुंबई वर्क टाउन... दोनों के क्या मायने हैं आपके लिए?
मैं अपने होम टाउन से बहुत जुड़ाव महसूस करता हूं। अपने शहर और वहां के लोगों से बहुत प्यार है मुझे। वहां जाने के तो मैं बहाने ढूंढा करता हूं। मुंबई को मैं बैटल ग्राउंड मानता हूं। यहां सर्वाइव करने के लिए मुझे लगातार बहुत मेहनत करते रहना है।
सिंगर न होते तो क्या होते?
यह मैंने कभी सोचा ही नहीं। अगर मैं सिंगर न होता तो शायद कुछ भी नहीं होता।
आपके पेरेंट्स को आपके सिंगर बनने पर सबसे ज़्यादा ख़्ाुशी कब हुई?
वैसे तो वे मेरे हर अचीवमेंट से ख़्ाुश होते हैं, पर एक वा$कया मुझे अच्छी तरह से याद है। मेरे गाने 'एक मुला$कात..Ó के रिलीज़ के समय पापा मेरे साथ थे। पूरी इंडस्ट्री की नज़रें मुझ पर टिकी हुई थीं कि नया लड़का है, देखें क्या गाता है। उस दिन पापा की ख़्ाुशी उनकी आंखों से ही नज़र आ रही थी। तब मुझे लगा था कि मेरे साथ ही मेरे पेरेंट्स का भी सपना पूरा हो गया।
ख़्ाुद को डिफाइन करिए।
मैं लर्नर हूं। बस हर दिन हर किसी से कुछ नया सीखता रहता हूं।
आपका सक्सेस मंत्रा क्या है?
बाइ द एंड ऑफ द डे, काम ही आपकी पहचान होता है। अपने काम के साथ हमेशा ईमानदार रहें, तभी कुछ अचीव किया जा सकता है।
यूथ के लिए क्या मेसेज देना चाहते हैं?
यह ऐसा टाइम होता है जब आप अपनी एनर्जी को सही दिशा में लगा सकते हैं। यहां-वहां समय बर्बाद करने के बजाय ख़्ाुद को समझें। अपने पोटेंशियल को जानें और उसी हिसाब से फ्यूचर सेट करें। सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है अपने सपनों को जीना। मैं गर्व से कह सकता हूं कि अपने सपनों को जी रहा हूं।
दिल्ली से जुड़ी कोई यादें... यहां का क्राउड कैसा लगता है?
मुझे यह शहर बहुत पसंद है। यहां जि़ंदगी है, भागमभाग के बीच भी लोग एक-दूसरे को जानते हैं, पहचानते हैं। मेरे कई दोस्त हैं यहां। यहां का क्राउड बहुत सपोर्टिव, क्रेज़ी और एनर्जेटिक है। मेरे लाइव सूफी रॉक शो को यहां बहुत पसंद किया गया।
इतना हेक्टिक शेड्यूल और इतने फिट! कैसे?
लाइफ बहुत फास्ट है, व$क्त कभी किसी के लिए रुकता नहीं है। हमें बस उसके साथ चलते रहना होता है। मेरी हाइट 6 फीट से ज़्यादा है। उसके हिसाब से ही मैं अपना फिटनेस रूटीन बनाता हूं। मैं खाने-पीने का बहुत शौकीन रहा हूं, पर अब सोच-समझ कर हेल्दी डाइट लेता हूं। सैलेड के बिना मेरा खाना अधूरा रहता है। उसमें भी सीज़र सैलेड मेरा फेवरिट है।
दीपाली पोरवाल