लड़के तुरंत निर्णय लेने में फिसड्डी!
एक शोध के अनुसार अचानक कोई समस्या आने पर लड़के सही निर्णय नहीं ले पाते। इस सर्वे में ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें जल्दबाज़ी में लिए गए निर्णय उनके लिए नुकसानदायक साबित हुए। इस पर डीडी ने दिल्ली के युवाओं की राय जानी।
एक शोध के अनुसार अचानक कोई समस्या आने पर लड़के सही निर्णय नहीं ले पाते। इस सर्वे में ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें जल्दबाज़ी में लिए गए निर्णय उनके लिए नुकसानदायक साबित हुए। इस पर डीडी ने दिल्ली के युवाओं की राय जानी।
रिसर्च से सहमत
मैं इस शोध में कही गई बात से पूरी तरह सहमत हूं। मुझे लगता है कि लड़कों में धैर्य की कमी होती है। वे हर काम तुरंत कर देना चाहते हैं। इस हड़बड़ी में वे अकसर बिना सोचे-समझे मूर्खतापूर्ण निर्णय भी ले लेते हैं। वहीं दूसरी ओर लड़कियां छोटी से छोटी बात को लेकर भी बहुत सोच-विचार करने के बाद ही निर्णय लेती हैं।
हावी होता है ईगो
मैंने साइकोलॉजी का अध्ययन किया है। मैं समझती हूं कि लड़कों का ईगो उनके निर्णयों पर हावी रहता है जिस वजह से उनसे $गलतियां होती हैं। वहीं लड़कियों के मामले में ऐसा नहीं होता। लड़कियां अकसर डिप्रेशन के दौर में भी सही निर्णय लेती हैं।
ठीक ही तो है
ठीक ही तो कहा गया है रिसर्च में। मैं ख़्ाुद भी अचानक निर्णय लेने वाली परिस्थितियों में $गलतियां कर बैठता हूं। अकसर भावनाओं में बहकर निर्णय लेता हूं। यही वजह है कि जब मुझे अपनी कंपनी से संबंधित कोई निर्णय लेना होता है तब मैं जल्दबाज़ी दिखाने के बजाए भरपूर समय लेता हूं। ताकि $गलत निर्णय लेने के चलते मुझे नुकसान न उठाना पड़े।
ओवरकॉन्फिडेंस है वजह
हमारे समाज में ज्य़ादातर ज़रूरी निर्णय लड़के ही लेते हैं। ऐसे में उनके मन में यह भावना घर कर जाती है कि जो निर्णय वे लेंगे वह सही ही होगा। यही वजह है कि कई बार वे अपने विवेक का इस्तेमाल भी नहीं करते और मात खा जाते हैं।
नर्वस हो जाती हैं लड़कियां
मुझे लगता है कि अचानक कोई निर्णय लेते वक़्त लड़कियां नर्वस हो जाती हैं। वहीं लड़के ऐसी परिस्थितियों में आक्रामक हो जाते हैं। हालांकि अगर दोनों की तुलना की जाए, तो ज्य़ादातर मामलों में लड़कियों के निर्णय सही साबित होते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि वे विवेक से काम लेती हैं।
ज्योति द्विवेदी