एम्स में सबसे कम उम्र में युवक ने दान किया प्लाज्मा
कोरोना पर विजय हासिल करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी और उनके परिजन प्लाज्मा दान के लिए आगे आ रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली:
प्लाज्मा डोनर ढूंढना अब भी मरीजों के परिजनों के लिए आसान नहीं है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आगे बढ़कर प्लाज्मा दान कर रहे हैं और दूसरों के लिए नजीर पेश कर रहे हैं। खासतौर पर कोरोना पर विजय हासिल करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी और उनके परिजन प्लाज्मा दान के लिए आगे आ रहे हैं। उन्हीं में से एक हैं एम्स में कार्यरत लोकेश पटवाल और उनके 18 वर्षीय बेटे ध्रुव पटवाल। ध्रुव ने एम्स में प्लाज्मा दान किया है। वह सबसे कम उम्र के प्लाज्मा डोनर बताए जा रहे हैं। उनके पिता भी प्लाज्मा दान करना चाहते थे, लेकिन एंटीबॉडी कम होने के कारण डॉक्टरों ने उनका प्लाज्मा नहीं लिया। फिर भी उन्होंने रक्तदान किया, ताकि दूसरे मरीज की जान बचाने में वह मदद कर सकें।
लोकेश पटवाल एम्स ट्रॉमा सेंटर में ओटी तकनीशियन के पद पर कार्यरत हैं। ध्रुव उनके इकलौते बेटे हैं। पिता-पुत्र दोनों को मई के अंतिम सप्ताह में बुखार हुआ था। इसके बाद दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। हालांकि पिता-पुत्र को बहुत ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं थे। छह जून को उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया। 13 जून को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लोकेश ने कहा कि ठीक होने पर उन्होंने प्लाज्मा दान करने की सोची थी। 26 जून को उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन कर ली। उसी दिन वे एम्स के ब्लड बैंक में प्लाज्मा दान के लिए गए। तब डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि ठीक होने के एक माह पर प्लाज्मा दान करना ज्यादा बेहतर होता है। इसके बाद पिता-पुत्र दोनों एक साथ 13 जुलाई को एम्स के ब्लड बैंक में प्लाज्मा दान करने पहुंचे। ध्रुव के ब्लड में एंटीबॉडी अधिक पाई गई। इसलिए उन्होंने प्लाज्मा दान किया। लोकेश ने कहा कि दिल्ली में 90 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। इसमें से 50 फीसद लोग भी यदि प्लाज्मा दान के लिए आगे किसी मरीज को प्लाज्मा की दिक्कत नहीं होगी। प्लाज्मा दान के लिए आगे आ रहे डॉक्टर
प्लाज्मा दान के लिए रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारी आगे आ रहे हैं। लोकनायक अस्पताल के कई डॉक्टरों ने प्लाज्मा दान किया है। इसके अलावा नर्सिंग कर्मचारीं ग्रुप बनाकर अन्य कर्मचारियों को प्लाज्मा दान के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 'डोनर बनें और जिदगी बचाएं' अभियान भी शुरू किया है। एम्स के नर्सिंग अधिकारी कनिष्क यादव ने कहा कि इस अभियान में एम्स, सफदरजंग, लोकनायक सहित कई अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मी जुडे हैं। इनमें 90 ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें कोरोना हुआ था। जिसमें से 18 कर्मचारी प्लाज्मा दान कर चुके हैं। पांच कर्मचारी एंटीबॉडी कम होने के कारण प्लाज्मा दान नहीं कर पाए।