जल्द कचरा मुक्त होगी जीवनदायिनी यमुना
नमामि गंगे परियोजना से यमुना के भी दिन बहुरने लगे हैं क्योंकि यमुना से ठोस कचरा निकालने के लिए इन दिनों जोरशोर से काम चल रहा है। इसके लिए यमुना में दो ट्रैश स्कीमर मशीनें उतारी गई हैं जिससे प्रतिदिन नदी से करीब छह टन कचरा निकाला जा रहा है। इससे नदी की सूरत निखरने लगी है जिन जगहों से ठोस कचरा निकाला जा चुका है वहां यमुना जलकुंभी व ठोस कचरा मुक्त नजर आने लगी है।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली : नमामि गंगे परियोजना से यमुना के भी दिन बहुरने लगे हैं, क्योंकि यमुना से ठोस कचरा निकालने के लिए इन दिनों जोरशोर से काम चल रहा है। इसके लिए यमुना में दो ट्रैश स्कीमर मशीनें उतारी गई हैं। इनसे प्रतिदिन नदी से करीब छह टन कचरा निकाला जा रहा है। जहां से ठोस कचरा निकाला जा चुका है, वहां पर यमुना की सूरत अब निखरी नजर आ रही है। हालांकि यमुना के पानी में सीवरेज व औद्योगिक प्रदूषण की समस्या बरकरार है, लेकिन आने वाले समय में बहुत जल्द वजीराबाद से कालिदी कुंज तक यमुना कम से कम कचरा मुक्त अवश्य नजर आएगी।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अंतर्गत राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) ने वसंत कुंज की एक प्राइवेट फर्म को इसका टेंडर दिया है। यह एजेंसी ट्रैश स्कीमर से यमुना की सफाई करा रही है, जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी सिचाई विभाग को दी गई है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में वजीराबाद से कालिदी कुंज ओखला बैराज तक यमुना प्रदूषित है। वजीराबाद से ओखला के बीच 22 बड़े नालों का सीवेजयुक्त गंदा पानी यमुना में गिरता है। इसके अलावा कई जगहों पर ठोस कचरा भी डंप किया जाता है। ऐसे में यमुना में ठोस कचरा भी बड़ी समस्या बनकर उभरा है। कुछ समय पहले तक दिल्ली में यमुना जलकुंभी से भरी नजर आती थी।
यमुना एक्शन प्लान में केंद्र सरकार ने 1656 करोड़ की नौ बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत की है। केंद्र व दिल्ली सरकार मिलकर इस योजना पर काम कर रहे हैं। इसमें ट्रैश स्कीमर से यमुना की सफाई भी शामिल है। सबसे पहले 7 मई 2016 को यमुना में ट्रैश स्कीमर उतारी गई थी। तब आइटीओ के पास यमुना नदी से कचरा निकाला गया था। इसके बाद वर्ष 2017 के आखिर से वजीराबाद से कालिदी कुंज तक यमुना के पूरे हिस्से से कचरा निकालने का काम किया जा रहा है।
परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सिचाई विभाग के कर्मचारी नदी क्षेत्र में घूमकर यह देखते हैं कि कहां नदी में जलकुंभी, प्लास्टिक, पॉलीथिन, प्लास्टिक की बोतलों इत्यादि का कचरा जमा है। वहां ट्रैश स्कीमर मशीन ले जाकर नदी से कचरा निकाला जाता है। इसे नदी किनारे जगह-जगह डंप किया जाता है। कचरा सूखने पर नगर निगम की टीम कचरे को उठाकर लैंडफिल साइट पर ले जाती है। अधिकारी ने बताया कि एक ट्रैश स्कीमर मशीन नदी में चक्कर लगाकर सुबह से शाम तक करीब तीन टन कचरा निकालती है। इस तरह दो मशीनों से करीब छह टन कचरा निकाला जा रहा है। बॉक्स
यमुना में सीवरेज की गंदगी है बड़ी समस्या
दिल्ली में प्रतिदिन करीब 720 एमजीडी सीवरेज उत्पन्न होता है, जबकि जल बोर्ड के सीवरेज शोधन संयंत्रों की क्षमता करीब 605 एमजीडी है और ये संयंत्र भी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर पाते। जल बोर्ड मौजूदा समय में करीब 460 एमजीडी सीवरेज का शोधन कर पाता है। शेष सीवरेज शोधन के बगैर यमुना में गिर रहा है। इसके मद्देनजर यमुना एक्शन प्लान-3 के तहत रिठाला, कोंडली, ओखला व कोरोनेशन पिलर में अत्याधुनिक सीवरेज शोधन संयंत्र बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा मुख्य सीवर लाइनों का नवीनीकरण भी किया जा रहा है। यह परियोजनाएं करीब दो साल में पूरी होंगी।