दिल्ली में अफसरों को लेकर फिर चढ़ा सियासी पारा, केजरीवाल और केंद्र में ठनी
अफसरों पर सियासत दिल्ली की दस्तूर बनती जा रही है। अपनी पसंदीदा अफसरों की तैनाती को लेकर एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार में ठन गई है। जाने इस बार किस अफसर पर तनातनी है।
नई दिल्ली [ वीके शुक्ला ] । एसडीएमसी (नगर निगम दक्षिणी) में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) लगाने पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ठन गई है। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से इस पद के लिए प्रस्तावित किए गए आइपीएस मंगेश कश्यप के नाम को मानने से मना कर दिया है। वहीं नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) में सीवीओ के पद के लिए आइपीएस संजय त्यागी के नाम पर सहमति जताई है।
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने एसडीएमसी में मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद के लिए दो नाम प्रस्तावित किए थे। जिसमें दिल्ली सरकार के भूमि एवं विकास विभाग के विशेष सचिव वरिष्ठ दानिक्स अफसर
एचपीएस शरण व यूपी कैडर के एक आईपीएस मीणा के नाम प्रस्तावित किए थे। इसी तरह नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) पद के लिए संजय त्यागी का नाम केंद्र के पास प्रस्तावित किया था।
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केंद्र सरकार ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के लिए संजय त्यागी के नाम की मंजूरी दे दी। मगर एसडीएमसी के सीवीओ पद पर तैनाती के लिए दिल्ली सरकार की ओर से प्रस्तावित दोनों नाम को निरस्त कर दिया और अपनी ओर से आईपीएस मंगेश कश्यप का नाम स्वीकृति देकर दिल्ली सरकार के पास भेजा है। मगर दिल्ली सरकार ने आइपीएस कश्यप के नाम पर असहमति जाहिर की है और इस नाम को मानने से इंकार कर दिया है।
दिल्ली सरकार के अधिकारी इस समस्या के समाधान निकालने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। मगर यह है कि मंगेश कश्यप एसडीएमसी में नहीं लगेंगे। क्योंकि इसके लिए दिल्ली सरकार की आदेश जारी करेगी। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार किसी भी सूरत में कश्यप को लगाने के पक्ष में नहीें है।
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब अधिकारियों को लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार में तनातनी रही हो। इससे पहले कुछ दिन की ही बात है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली में काम कर रहे अधिकारियों की लिस्ट मांग चुका है। उस मुद्दे पर खूब विवाद बढ़ चुका है और दिल्ली सरकार केंद्र पर जासूसी कराने तक का आरोप लगा चुकी है। लगभग दो माह पहले दिल्ली सरकार में काम कर रहे तीन मुख्य अभियंताओं का केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय डिमोशन कर उन्हें अधीक्षण अभियंता बना चुका है।