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सही इलाज से मिर्गी रोग से निजात संभव

मिर्गी को लेकर कई तरह की गलतफहमियां हैं। लोग सोचते हैं कि इसका इलाज नामुमकिन है या फिर इससे पीड़ित शख्स साधारण ¨जदगी नहीं जी सकता, लेकिन यह सच नहीं है। सही इलाज के माध्यम से मिर्गी से निजात संभव है। मिर्गी के इलाज के कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन बावजूद इसके आज भी काफी संख्या में मिर्गी रोगियों को इलाज नहीं मिल पाता है, जिसके कारण वे सामान्य जीवन जी पाने में असमर्थ हैं। चिकित्सकों के मुताबिक दुनियाभर के मिर्गी मरीजों में भारत छठे स्थान पर है। द्वारका स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश सरीन बताते है कि मिर्गी का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:12 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:12 PM (IST)
सही इलाज से मिर्गी रोग से निजात संभव
सही इलाज से मिर्गी रोग से निजात संभव

मिर्गी रोग दिवस पर विशेष...

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मनीषा गर्ग, पश्चिमी दिल्ली : मिर्गी को लेकर कई तरह की गलत फहमियां हैं। लोग सोचते हैं कि इसका इलाज नामुमकिन है, लेकिन यह सच नहीं है। सही इलाज के माध्यम से मिर्गी से निजात संभव है। चिकित्सकों के मुताबिक, दुनियाभर के मिर्गी मरीजों में भारत छठे स्थान पर है। द्वारका स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश सरीन बताते हैं कि मिर्गी का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है। अमूमन लोग थोड़ा बहुत असर नजर आने पर ही दवाओं को बीच में छोड़ देते हैं। एकाध मरीज ही कोर्स पूरा करते हैं। इसका मुख्य कारण जागरूकता का अभाव है। हालांकि, मिर्गी के कारण मृत्युदर बहुत ही कम है, लेकिन मिर्गी रोगी को समय से पहले मौत होने का खतरा अधिक होता है।

डॉ. दिनेश के अनुसार, अध्ययनों से पता चला कि कई बार मिर्गी आनुवांशिक होती है। अगर किसी को पहली बार दौरा पड़ा है तो दोबारा पड़ने की आशंका 50 फीसद तक होती है। वहीं, अगर दूसरी बार दौरा पड़ा, तो आशंका 75 फीसद तक बढ़ जाती है। मरीजों को सलाह है कि पहला दौरा पड़ने के बाद ही चिकित्सकों से संपर्क अवश्य करें। -- क्या है मिर्गी :

यह एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। यह कुछ वैसा ही है जैसे कि शॉर्ट सर्किट में दो तारों के बीच गलत दिशा में तेज करंट दौड़ता है। इसमें मरीज को झटके-से महसूस होते हैं। वह जमीन पर गिर जाता है और कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता है। एक दिन के बच्चे से लेकर 100 साल के बुजुर्ग तक को मिर्गी हो सकती है। -- इन स्थितियों में पड़ता है दौरा

बेहद तनाव

कम नींद लेना

हॉर्मोंस में बदलाव

ज्यादा शराब पीना

ब्लड शुगर का गिर जाना

उच्च रक्तचाप का कम होना

बेहद तेज रोशनी में आना मिर्गी के लक्षण

- आंखों के आगे अंधेरा छाना

- शरीर का अकड़ जाना

- मुंह से झाग आना

- अचानक गिर जाना

- बेहोश हो जाना

- आंखों की पुतलियां ऊपर की तरफ ¨खचना

- हाथ या पैर का लगातार चलना

- होंठ या जीभ काट लेना मरीज इन बातों का रखे ध्यान

- दवा हमेशा वक्त पर लें।

- रोजाना सात से आठ घंटे की भरपूर नींद लें और तनाव न लें।

- फल-सब्जी, सूखे मेवे को खाने में शामिल करें और डाइ¨टग बिल्कुल न करें।

- मरीज ड्राइ¨वग से परहेज करें।

- स्वी¨मग न करें और न ही बाथटब में नहाएं।

- एडवेंचर स्पो‌र्ट्स (डाइ¨वग, स्कूबा डाइ¨वग, पैराग्लाइ¨डग आदि) में हिस्सा न लें।

- एक पर्ची पर अपना नाम, नंबर, घरवालों का नंबर और जरूरी दवा का नाम लिखकर अपने पर्स या जेब में रखें।

इन बातों का घरवाले रखें ध्यान

- मरीज के साथ बिल्कुल साधारण तरीके से व्यवहार करें।

- घर में खुले में कोयला न जलाएं, न ही बोन फायर आदि करे।

- घर में मिडाजोलम नेजल का छिड़काव रखें। दौरा पड़ने पर मरीज की नाक में इसे स्प्रे करने से वह जल्दी होश में आ जाता है।

- मरीज अगर बच्चा हो और स्कूल जाता हो तो क्लास टीचर को इस बारे में सूचना जरूर दें और बताएं कि दौरा आने की हालत में क्या करना है।


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