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कौन होगा दिल्‍ली का लोकायुक्‍त ? पैनल में फंसा है सियासी पेंच

दिल्ली की सरकार भले यह कह रही हो कि सूबे में नए लोकायुक्त की प्रक्रिया जारी है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस मामले में पेंच अब भी फंसा हुआ है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2015 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2015 01:56 PM (IST)
कौन होगा दिल्‍ली का लोकायुक्‍त ? पैनल में फंसा है सियासी पेंच

नई दिल्ली । दिल्ली की सरकार भले यह कह रही हो कि सूबे में नए लोकायुक्त की प्रक्रिया जारी है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस मामले में पेंच अब भी फंसा हुआ है।

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इस पद पर नियुक्ति के मामले में अहम भूमिका निभाने वाले नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस बात की बिल्कुल जानकारी नहीं है कि सरकार ने लोकायुक्त के लिए कौन पांच नाम तय किए हैं।

सरकार के स्तर पर ऐसी चर्चा रही है कि लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त पांच न्यायाधीशों के नाम का पैनल तैयार कर हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. रोहिणी को भेज दिया गया है।

लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली लोकायुक्त-उपलोकायुक्त कानून 1995 के तहत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, नेता प्रतिपक्ष और उपराज्यपाल मिलकर फैसला लेते हैं। ऐसे में उन्हें भी तो यह जानकारी होनी चाहिए कि आखिर सरकार ने कौन से नाम तय किए हैं।

इस मामले में उपराज्यपाल नजीब जंग ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस को एक चि_ी भेजी और कहा कि राजनिवास द्वारा तीन-तीन बार याद दिलाए जाने के बावजूद उनके पास नामों का पैनल नहीं भेजा गया है।

उन्होंने देरी पर नाराजगी भी जताई थी। अपने पत्र में उन्होंने यह भी लिखा था कि जैसे ही दिल्ली सरकार एक पैनल बनाकर उनके पास भेजेगी, वे इस मामले में आगे कार्रवाई शुरू कर देंगे।

आपको बता दें कि लोकायुक्त का मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। पिछले दिनों अदालत में इस मामले में हुई सुनवाई में सरकार ने कहा था कि इस बाबत प्रक्रिया जारी है और शीघ्र ही लोकायुक्त की नियुक्ति की जाएगी। लोकायुक्त के मुद्दे पर सियासत लगातार जारी है।

दिल्ली सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष इस मामले में अदालत पहुंच चुके हैं तो कांग्रेस की तरफ से भी इस मुद्दे पर लगातार आवाज बुलंद की जा रही है।

पार्टी ने इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया था और आम आदमी पार्टी के 29 विधायकों के खिलाफ विभिन्न मामलों की फाइल लोकायुक्त कार्यालय को सौंपी थी। याद रहे कि दिल्ली में लोकायुक्त का पद नवंबर, 2013 से ही खाली पड़ा है। सियासी लोगों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई लोकायुक्त ही करते हैं।


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