संघर्ष पथ पर जो भी मिला ये भी सही वो भी सही
लॉकडाउन में काम-धंधा बंद होने के बाद एक तरफ कुछ कामगार जहां अपने-अपने गांव लौट रहे है तो वहीं राजधानी में कुछ ऐसे भी लोग हैं..
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : लॉकडाउन में काम-धंधा बंद होने के बाद एक तरफ कुछ कामगार जहां अपने-अपने गांव लौट रहे हैं, वहीं राजधानी में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने जीवनयापन के लिए नए आयामों की तलाश कर वापस पटरी पर लौटने का प्रयास शुरू कर दिया है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर कारगो विभाग में कार्यरत विजय एंक्लेव निवासी उमेश गुप्ता बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान एयरपोर्ट बंद था, जिसके बाद आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। पर इस दौरान मैंने सड़क किनारे कुछ एकाध लोगों को गाड़ियों पर सैनिटाइज कर छिड़काव करते हुए देखा, जिसके बाद मैंने भी इस दिशा में काम करने का विचार किया। आज उमेश अपने साले के साथ द्वारका सेक्टर-1 पर दो, तीन व चार पहिया वाहनों को सैनिटाइज कर लोगों को कोरोना से बचने के लिए सुरक्षित माहौल प्रदान कर रहे हैं। खास बात यह है कि अब उन्हें द्वारका की विभिन्न सोसाइटियों से भी गाड़ियों को सैनिटाइज करने का काम मिलने लगा है।
उमेश बताते हैं कि अब द्वारका, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन समेत क्षेत्र में कई जगह सड़क किनारे लोग गाड़ियों को सैनिटाइज करते दिख जाएंगे। कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों को सैनिटाइजेशन के रूप में नया काम दिया है और जीवन गुजर-बसर करना काफी हद तक आसान हुआ है। हालांकि इस दौरान हम अपनी सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखते हैं। सुरक्षा के लिए हमने पीपीई किट खरीदी है, जिन्हें सैनिटाइजेशन करने के दौरान हम पहनकर रखते है। हम शारीरिक दूरी का भी खासा ख्याल रखते हैं। खास बात ये कि लोग हमारे इस प्रयास को काफी सराह रहे हैं। विशेषकर ऑटो चालक और प्राइवेट कार चालक सैनिटाइजेशन के लिए काफी आगे आते हैं। रोजाना करीब 300 रुपये की कमाई हो जाती है। दो व तीन पहिया वाहन को सैनिटाइज करने के दस रुपये और चार पहिया वाहन को सैनिटाइज करने के लिए 30 रुपये लेते हैं।
उमेश के साले कृष्ण बताते हैं कि द्वारका की कुछ सोसाइटी के आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों ने भी हमसे संपर्क किया है। उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि सोसाइटी के अंदर जाने वाली व बाहर आने वाली सभी गाड़ियों को हम सैनिटाइज करें, जिससे सोसाइटी के लोग कोरोना से सुरक्षित रहें। इसके अलावा पेट्रोल पंप पर भी गाड़ियों के सैनिटाइजेशन पर जोर दिया जा रहा है, ताकि कर्मचारी सुरक्षित रहें।