गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ वेबीनार
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जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार में शामिल वक्ताओं ने कोरोना संक्रमण के दौर में जीवन में शांति की स्थापना कैसे हो, कैसे अवसाद रहित जीवन जीया जाए और इसके लिए वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तरीके क्या क्या हो सकते हैं, इसपर अपने विचार रखे। वेबीनार में देश के अलग अलग हिस्सों में कार्यरित चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, प्रोफेसर सहित अनेक व्यवसाय से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया।
संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की शिष्या तपेश्वरी भारती ने वेबीनार के एक सत्र में बताया कि जब हमारा मन तनाव व नकारात्मक विचारों से रोग ग्रस्त हो जाता है, तो ऐसे में हमारे पास उपचार हेतु अक्सर दो ही विधाएं प्रस्तुत होती हैं। पहला कि हम अपने किसी मित्र अथवा सबसे करीबी संबंधी से उसे साझा करें व उनसे परामर्श अथवा सांत्वना लें। दूसरा, यदि मन अत्यंत विकल हो जाए तो एक मनोचिकित्सक से परामर्श सत्र लेकर अपने मन का मनोवैज्ञानिक आकलन तथा उपचार कराएं। उन्होंने कहा कि गुरु सत्ता हमारे अवसाद ग्रस्त मन को जागृत आत्म चेतना के प्रकाश से जोड़ देती है। इस आत्मप्रकाश में मन ध्यान साधना के द्वारा निरंतर स्नान करता है और शाश्वत सकारात्मकता धारण कर दिव्य होता जाता है। आज मानसिक वेदना से त्रस्त समाज को इसी ब्रह्मज्ञान की मनोवैज्ञानिक पद्धति की परम आवश्यकता है। साध्वी डॉ निधि भारती जी ने अपने सत्र में मानवीय रिश्तों का गहन अन्वेषण करते हुए बताया कि वे प्राय: व्यवहारवाद और स्वार्थवाद से संचालित हुआ करते हैं। परंतु केवल एक ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु ही हैं जो मानव समाज के साथ आत्मिक संबंध निभाते हैं। हमें स्वयं हमारी अपनी बुद्धि से अधिक जानते और समझते हैं।