झीलों में जल भंडारण से पेयजल किल्लत होगी दूर
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: राजधानी के 159 जलाशयों को झील में विकसित करने की योजना परवान च
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली:
राजधानी के 159 जलाशयों को झील में विकसित करने की योजना परवान चढ़ी तो भूजल स्तर तो बढ़ेगा ही, पेयजल किल्लत भी दूर होगी। जल बोर्ड रजोकरी में पायलेट परियोजना के तौर पर एक जलाशय को विकसित किया है। उस जलाशय में गांव और आसपास का गंदा पानी जमा होता था। अब उस जलाशय में गिरने वाले पानी को पहले छोटे सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) में शोधित किया जा रहा है। इसके बाद पानी जलाशय में भेजा जा रहा है।
इनमें से ज्यादातर जलाशय सूखे रहते हैं और कुछ में गंदा पानी रहता है। सभी जलाशयों के गंदे पानी को शोधित किया जाएगा। असल में दिल्ली में पानी की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है। यहां प्रतिदिन करीब 1040 एमजीडी पानी की जरूरत होती है। जबकि जल बोर्ड करीब 900 एमजीडी पानी आपूर्ति करता है। इस तरह 140 एमजीडी पानी की हमेशा किल्लत बनी रहती है। गर्मियों में पानी की मांग बढ़ने पर यह समस्या और बढ़ जाती है। दिल्ली को मुख्य रूप से हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पानी मिलता है। जल बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल फिलहाल और किसी राज्य से दिल्ली को अतिरिक्त पानी मिलने की उम्मीद नहीं है। इसलिए दिल्ली के अपने जल स्रोतों को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। दिल्ली में प्रतिदिन करीब 720 एमजीडी सीवरेज उत्पन्न होता है। मौजूदा समय में सीवरेज शोधन से करीब 450 एमजीडी उपचारित पानी उपलब्ध होता है। जिसमें से 89 एमजीडी पानी ही बागवानी या अन्य गैर घरेलू कार्यो में इस्तेमाल हो पाता है। उम्मीद है कि इससे दिल्ली का भूजल स्तर 15 से 20 फीसद तब बढ़ जाएगा। मौजूदा समय में जल बोर्ड 80 से 100 एमजीडी भूजल को पेयजल के लिए आपूर्ति करता है।