कृषि सलाह : वृक्षों को लू से बचाने के लिए अवरोधकों का करें प्रयोग
कोरोना के खतरे को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों व्यक्तिगत स्वच्छता मास्क का उपयोग साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : कोरोना के खतरे को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।
संस्थान की ओर से जारी कृषि सलाह में किसानों को कई जरूरी सलाह दिए गए हैं। लू के खतरे को देखते हुए अभी नींबू, आम की विभिन्न प्रजाति तथा केले के वृक्षों की सिचाई करें तथा वृक्षों को लू से बचाने के लिए अवरोधकों का उपयोग करें। मिर्च के खेत में माईट कीट की निरंतर निगरानी करें, आवश्यकतानुसार फसल में कम अंतराल में सिचाई करें। कपास व अरहर की बुवाई के लिए खेत तैयार करें। बीज किसी प्रमाणित स्त्रोत से ही खरीदें। बीजों को बोने से पहले उन्हें राईजोबियम तथा फास्फोरस के घुलनशील बैक्टीरिया से अवश्य उपचार करें, जिससे अंकुरण तथा उत्पादन में वृद्धि होती है। भिडी की फसल में तुड़ाई के बाद यूरिया को दस किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से डाले तथा माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाए जाने पर ईथियांन नामक दवा को दो मिलीलीटर पानी की दर में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने के वक्त करें। भिडी की फसल में हल्की सिचाई कम अंतराल पर करें। बैंगन तथा टमाटर की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को एकत्रित कर नष्ट कर दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ईसी नामक दवा का एक मिलीलीटर भाग चार लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
वैज्ञानिकों ने किसानों को सब्जियों तथा खड़ी फसलों में हल्की सिचाई करने को कहा है। सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें तथा इसके बाद इसे छायादार स्थान में रखें। सनई, ढैंचा, ग्वार, लोबिया, मूंग, ग्वार, मक्का, बाजरा की बुवाई के लिए यह समय उचित है। सनई के बीज दर 60-70 और ढैंचा की 50-60 किलोग्राम प्रति हैक्टर। अच्छे अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। बीजों को लगभग चार सेंटीमीटर गहराई पर डाले और पंक्ति से पंक्ति की दूरी तकरीबन 30 सेंटीमीटर रखें। रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतों की गहरी जुताई कर उसे खुला छोड़ दें ताकि सूर्य की तेज धूप से छिपे कीड़ों के अंडे तथा घास के बीज नष्ट हो जाए।