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Air Pollution In India:दिल्ली और कोलकाता में जानलेवा हुआ वायु प्रदूषण, सामने आया चौकाने वाला आकड़ा

दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार वायु प्रदूषण अब जानलेवा साबित होने लगा है। वर्ष 2019 में एक साल के भीतर 106 लोगों की मौत के पीछे वायु प्रदूषण की वजह सामने आया है। इसका खुलासा एक अमेरिकी रिपोर्ट में हुआ है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 03:48 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 03:48 PM (IST)
Air Pollution In India:दिल्ली और कोलकाता में जानलेवा हुआ वायु प्रदूषण, सामने आया चौकाने वाला आकड़ा
Pollution In India:जानलेवा हुआ वायु प्रदूषण, वर्ष 2019 में दिल्ली में 106 तो कोलकाता में 99 लोगों ने गंवाई जान

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दुनिया भर में विकास का पहिया कुछ इस रफ्तार से घूमता हुआ आगे बढ़ रहा है कि तमाम कोशिशों के बावजूद पीछे जानलेवा हवा का गुबार छोड़ रहा है। जी हां, फिलहाल दुनिया के तमाम बड़े शहर में रहने वाले लोग जानलेवा हवा में सांस ले रहे हैं। दुनिया के 7,000 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता से जुड़े एक विश्लेषण में यह भी पता चलता है कि बात जब पीएम 2.5 के स्तर की होती है तो देश की राजधानी दिल्ली सबसे ऊपर आती है। कोलकाता दूसरे जबकि नाइजीरिया का कानो शहर तीसरे नंबर पर है।

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अमेरिका स्थित शोध संगठन हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआइ) के स्टेट आफ ग्लोबल एयर इनिशिएटिव द्वारा बुधवार को बोस्टन में जारी एयर क्वालिटी एंड हेल्थ इन सिटीज़ नामक नई रिपोर्ट दुनिया भर के 7,000 से अधिक शहरों के लिए वायु प्रदूषण और वैश्विक स्वास्थ्य प्रभावों का एक व्यापक और विस्तृत विश्लेषण सामने रखती है। इसमें दो सबसे हानिकारक प्रदूषकों फाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) व नाइट्रोजन डाइआक्साइड (एनओ2) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

साल 2019-20 में हुए विश्लेषण में शामिल 7,239 शहरों में पीएम 2.5 से जुड़ी 1.7 मिलियन मौतें हुईं जबकि पीएम 2.5 के चलते एशिया, अफ्रीका और पूर्वी और मध्य यूरोप के शहरों में जनस्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा।

इस रिपोर्ट में साल 2010-11 से 2019-20 के आंकड़ों का उपयोग करते हुए पाया गया कि दो प्रमुख वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने के वैश्विक पैटर्न आश्चर्यजनक रूप से भिन्न हैं। जहां एक ओर निम्न व मध्यम आय वाले देशों में पीएम 2.5 प्रदूषण का जोखिम अधिक होता है, वहीं एनओ2 उच्च-आय के साथ-साथ निम्न और मध्यम वर्गीय शहरों में भी एक खतरा होती है।

एनओे 2 मुख्य रूप से पुराने वाहनों, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं और आवासीय खाना पकाने और हीटिंग में अक्सर ईंधन के जलने से आता है। चूंकि शहर के निवासी घनी यातायात वाली व्यस्त सड़कों के करीब रहते हैं, इसलिए वे अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों की तुलना में अधिक एनओ 2 प्रदूषण के संपर्क में आते हैं। 2019-20 में, इस रिपोर्ट में शामिल 7,000 से अधिक शहरों में से 86 प्रतिशत ने एनओ 2 के लिए डब्ल्यूएचओ के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मानक को पार कर लिया, जिससे करीब 2.6 बिलियन लोग प्रभावित हुए। जबकि पीएम 2.5 दुनियाभर के ज्ञात हाटस्पाट पर ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है।

रिपोर्ट में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में डेटा की अनुपलब्धता पर भी प्रकाश डाला गया है, जो वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को समझने और संबोधित करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। डब्ल्यूएचओ के वायु गुणवत्ता डेटाबेस के अनुसार वर्तमान में केवल 117 देशों के पास पीएम 2.5 को ट्रैक करने के लिए जमीनी स्तर की निगरानी प्रणाली है और केवल 74 राष्ट्र एनओ 2 स्तर की निगरानी कर रहे हैं। रिपोर्ट ने दुनिया भर के शहरों के लिए वायु गुणवत्ता अनुमान तैयार करने के लिए उपग्रहों और माडलों के साथ जमीन पर आधारित वायु गुणवत्ता डेटा को जोड़ा है।

रिपोर्ट बताती है कि समय के साथ प्रदूषण के निम्न स्तर में भी सांस लेना स्वास्थ्य पर असंख्य प्रभाव पैदा कर सकता है, जिसमें जीवन प्रत्याशा में कमी, स्कूल और काम छूटना, पुरानी बीमारियां और यहां तक कि मृत्यु भी शामिल है। दुनिया भर में वायु प्रदूषण नौ मौतों में से एक के लिए और 2019 में 6.7 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है। विशेषकर युवाओं, बुजुर्गों और पुरानी श्वसन व हृदय रोगों वाले लोगों पर इसका गहरा प्रभाव है।

एचईआइ की वरिष्ठ वैज्ञानिक पल्लवी पंत ने कहा, "जैसे-जैसे दुनिया भर के शहर तेजी से बढ़ते हैं, लोगों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव भी बढ़ने की उम्मीद है। इसके चलते इस जोखिम को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए शुरुआती कदम लेने की भूमिका बनती है।"

पीएम 2.5 के सालाना औसत स्तर के अनुसार विश्व के शीर्ष 10 शहर

क्रम शहर और देश वार्षिक औसत पीएम 2.5 (प्रति घन मीटर )

  •  दिल्ली, भारत 110
  •  कोलकाता, भारत 84
  •  कानो, नाइजीरिया 83.6
  •  लीमा, पेरू 73.2
  •  ढाका, बोग्लादेश 71.4
  • जकार्ता, इंडोनेशिया 67.3
  •  लागोस, नाइजीरिया 66.9
  •  कराची, पाकिस्तान 63.6
  •  बीजिंग, चाइना 55
  • अकरा, घाना 51.9

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