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सुल्तानपुरी-मंगोलपुरी के बीच जाम बना आफत

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : दिन, सप्ताह, महीने, साल दर साल बीत गए ,लेकिन सुल्तानपुरी क्षेत्र

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 10:07 PM (IST)
सुल्तानपुरी-मंगोलपुरी के बीच जाम बना आफत
सुल्तानपुरी-मंगोलपुरी के बीच जाम बना आफत

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : दिन, सप्ताह, महीने, साल दर साल बीत गए ,लेकिन सुल्तानपुरी क्षेत्र के लोग जाम के झाम से आज तक जूझ रहे हैं। सुल्तानपुरी और मंगोलपुरी से आने-जाने वाले ज्यादातर रास्ते बंद हो चुके हैं, जो बचे भी हैं उस पर घंटों जाम लगा रहता है। इससे यातायात काफी प्रभावित होता है।

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दो साल पहले सुल्तानपुरी एस ब्लॉक के चर्च के पास स्थित तोड़े गए पुल को बनाना तो दूर, एस ब्लॉक मंगोलपुरी के एक और पुल को कुछ महीने पहले तोड़ दिया गया। अब सुल्तानपुर माजरा डबास का एकमात्र बचा हुआ रास्ता भी बद से बदतर हो गया है। एक सप्ताह से तो यहां हालत और भी दयनीय हो गई है। संजय गांधी अस्पताल की तरफ आने-जाने वाले मरीज व उनके तीमारदार इस समस्या से सबसे ज्यादा परेशान हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया कि ऑफिस जाना-आना तो दूर, इलाज कराने के लिए इलाके में स्थित एकमात्र सरकारी संजय गांधी अस्पताल जाने के लिए मानो हर बार कोई नई जंग लड़नी पड़ती हो।

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स्कूल जाने-आने में बहुत परेशानी होती है। सामान्य दिनों में देरी होने पर अधिक दिक्कत नहीं होती मगर परीक्षा के समय बहुत परेशानी होती है। यहां रोज लंबा जाम लगा रहता है मगर अधिकारी आंख बंद करे बैठे हैं।

सूरज, छात्र।

- यह समस्या इलाके में काफी समय से मौजूद है, ¨कतु जनप्रतिनिधियों को जनता की परेशानियां नजर ही नहीं आ आती हैं। हमने भी सोच लिया है कि चुनाव के वक्त इन नेताओं को आईना जरूर दिखाएंगे।

सोनू , सुल्तानपुरी।

- गलियों से होकर दो पहिया वाहन फिर भी जैसे-तैसे निकल जाते हैं मगर चार पहिया वाहन चालकों और अन्य बड़ी गाड़ियों को रोजाना असुविधाओं के बीच से गुजरना पड़ता है। यह क्षेत्र की मुख्य समस्या है। इससे पहले कि लोगों का गुस्सा फूटे, प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझ लेनी चाहिए।

-भीम, राहगीर।

- कुछ दिनों से संजय गांधी अस्पताल जाने में बहुत परेशानी हो रही है। सुल्तानपुर माजरा डबास के मोड़ पर ही ई रिक्शा सवारियों को उतार दे रहे हैं। फिर पैदल ही चलकर अस्पताल जाना पड़ता है। पैरों में दर्द होने के कारण यह मेरे लिए बेहद मुश्किल है ।

कुसुम, मरीज।


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