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World Environment Day 2020: ...ताकि बचा रहे जल, जंगल व जमीन

पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। यह न केवल हम इंसान बल्कि समस्त जीव-जंतुओं व वनस्पतियों के जीवित रहने का आधार है।

By Edited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 09:55 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 01:28 PM (IST)
World Environment Day 2020: ...ताकि बचा रहे जल, जंगल व जमीन
World Environment Day 2020: ...ताकि बचा रहे जल, जंगल व जमीन

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। यह न केवल हम इंसान बल्कि समस्त जीव-जंतुओं व वनस्पतियों के जीवित रहने का आधार है। बिना कुछ दिए केवल लेने की लालसा ने हमारे इस आधार को काफी क्षति पहुंचाई है। सौभाग्य से तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पर्यावरण सेवक के रूप में अपनी भूमिका का सम्यक निर्वहन कर रहे हैं। पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भलीभांति समझने वाले ये सेवक सीमित संसाधनों से ही सही, धरा के आधार को निरंतर मजबूती देने में जुटे हैं। इनमें से कुछ पर्यावरण सेवक कंक्रीट से बनी बहुमंजिला इमारतों की उपनगरी द्वारका की हरियाली व वहां के पर्यावास को मजबूती दे रहे हैं, वहीं एक शख्स दिल्ली देहात में धरा के आंचल को और भी हरा-भरा करने का अभियान छेड़े हुए हैं। उन्होंने विकासपुरी के उजाड़ पड़े पार्को को हरा-भरा बनाने का अभियान चलाया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर आज हम क्षेत्र के इन पर्यावरण सेवकों की गतिविधियों से आपको रूबरू कराते हुए इनके उन संकल्पों के बारे बताते हैं कि जो इन्होंने पूरे वर्ष के लिए तैयार किए हैं।

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चाहे जोहड़ों को बचाने की बात हो या द्वारका में जैव विविधता पार्क को बचाने की, दीवान सिंह उपनगरी के उन चंद शख्सियतों में से एक हैं जिनके लिए पर्यावरण से जुड़े सरोकार बेहद मायने रखते हैं। दीवान बताते हैं कि उपनगरी का भूजल स्तर निरंतर कम होता जा रहा है। भूजल स्तर कम होने का मतलब यहां की हरियाली को खतरा उत्पन्न होना है। जब हरियाली ही नहीं रहेगी तो जैव विविधता अपने आप समाप्त हो जाएगी। ऐसे में पानी को बचाना जरूरी है। सेक्टर-24, 23 व 22 में स्थित जोहड़ों को पुनर्जीवित करने के लिए एक अभियान छेड़ा जाएगा, जिसमें उपनगरी के लोगों का श्रमदान अपेक्षित होगा। भारत वंदना पार्क को जैव विविधता पार्क बनाने को लेकर हम लोग एक हस्ताक्षर अभियान चलाने वाले हैं, ताकि भारत वंदना पार्क को जैव विविधता पार्क घोषित किया जाए। सेक्टर-10 में बया पक्षी अपना बसेरा हर वर्ष डालते हैं। इस जगह को संरक्षित करने को लेकर भी हम लोग प्रयास करेंगे।

उपनगरी के जाने-माने पर्यावरणविद् पीके दत्ता का मानना है कि ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं में रहने वाले लोग पर्यावरण के प्रति निरंतर उदासीन होते जा रहे हैं। ऐसे में इन्हें पर्यावरण से जोड़े रखना एक चुनौती है। इन्हें पर्यावरण से जोड़े रखने के लिए छत, छज्जा व दीवारों पर बागवानी का विकास करने जैसे अभियान चलाकर लोगों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए सतत अभियान छेड़ा जाएगा। बच्चों को इस विषय से जोड़ने के लिए नेचर वॉक, पेंटिंग्स मे¨कग, निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उपनगरी के विभिन्न हिस्सों में ऐसे पेड़ जिनकी डालियां जमीन पर झुक गई हैं या जो किसी बीमारी से ग्रसित हैं, उनका समुचित उपचार पूरे वर्ष किया जाएगा।

सुमेर सिंह (कैर गांव) की मानें तो भूजल स्तर के निरंतर ह्रास के कारण कैर गांव के एक हिस्से की जमीन उजाड़ होती जा रही थी। यहां पेड़-पौधे तो दूर की बात जो हरियाली वर्षो से कायम थी, वह भी समाप्त हो रही थी। सुमेर ¨सह ने अपने अथक प्रयास से उस जगह कई किस्मों के पेड़-पौधे लगाए हैं। इनकी प्रेरणा से अब गांव के अन्य हिस्सों में भी लोग हरियाली को लेकर काफी संवेदनशील हुए हैं। सुमेर बताते हैं कि अब सार्वजनिक उपयोग वाली जमीनों पर हरियाली को विकसित करने पर हमारा जोर है। इसकी शुरुआत गांव की श्मशान भूमि पर नीम के कई पेड़ लगाकर की भी जा चुकी है। इस वर्ष सड़क किनारे नीम, आंवला, जामुन जैसे औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ लगाने पर जोर दिया जाएगा। वहीं पुराने पेड़ की देखरेख भी की जाएगी। इस वर्ष मानसून में सुमेर ने 101 पेड़ लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ये पेड़ न सिर्फ लगाए जाएंगे, बल्कि पूरे वर्ष इनकी देखरेख भी की जाएगी।

राघवेंद्र शुक्ल (विकासपुरी) का कहना है कि डीडीए की ओर से बसाई गई विकासपुरी कॉलोनी के कई पार्क पहले उजाड़ होते थे। देखरेख के अभाव में इन पार्को में हरियाली नाममात्र की रह गई। हवा का हल्का झोंका भी यहां धूल का गुबार उड़ा देता था। यह बात सुबह व शाम सैर करने वाले लोगों को बड़ी अखरती थी। राघवेंद्र शुक्ल ने इस स्थिति से निजात दिलाने के लिए दिल्ली मार्निग वाकर्स एसोसिएशन बनाई, फिर मुहिम शुरू हुई पार्को में हरियाली विकसित करने की। यहां की समस्याओं को डीडीए अधिकारियों के समक्ष उठाना और फिर समाधान होने तक उनका फॉलोअप लेने की रणनीति काम आई। इससे हुआ यह कि पार्क हरे-भरे होते गए। इस वर्ष इस मुहिम से विकासपुरी के अधिक से अधिक पार्को को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया। राघवेंद्र ने मानसून के दौरान कम से कम सप्ताह में एक दिन पार्कों में पौधरोपण व स्वच्छता अभियान चलाए जाने का प्रण लिया है। पार्को में एकत्रित हरित अवशेष से खाद बनाने को लेकर भी डीडीए से बात की जाएगी। विकासपुरी क्षेत्र में डिवाइडर व फुटपाथ के किनारे जहां हरियाली नहीं है, वहां पौधे लगाने के लिए संबंधित विभाग के साथ मिलकर अभियान छेड़ा जाएगा।


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