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जो कर रहे विरोध, उन्हीं ने संसद में की थी सीएए की पैरोकारी: आरिफ मोहम्मद

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वहीं लोग नागरिक संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं जिन्होंने पड़ोसी मुल्कों में बदतर जिदगी जीते वहां के अल्पसंख्यकों को यहां शरण व नागरिकता देने की पैरोकारी की थी। वर्ष 2003 में राज्यसभा में रखे गए सैलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस कमेटी के अध्यक्ष तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सांसद प्रणब मुखर्जी थे जबकि सदस्य कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सांसद कपिल सिब्बल हंसराज भारद्वाज

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 09:07 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:07 PM (IST)
जो कर रहे विरोध, उन्हीं ने संसद में की 
थी सीएए की पैरोकारी: आरिफ मोहम्मद
जो कर रहे विरोध, उन्हीं ने संसद में की थी सीएए की पैरोकारी: आरिफ मोहम्मद

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वहीं लोग नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं, जिन्होंने पड़ोसी मुल्कों में बदतर जिदगी जी रहे वहां के अल्पसंख्यकों को भारत में शरण व नागरिकता देने की पैरोकारी की थी। 2003 में राज्यसभा में रखी गई सलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस कमेटी के अध्यक्ष तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सांसद प्रणब मुखर्जी थे, जबकि सदस्यों में कांग्रेस पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल, हंसराज भारद्वाज, मोतीलाल वोरा व अंबिका सोनी तथा सपा से जनेश्वर मिश्रा, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से लालू प्रसाद समेत अन्य दलों के नेता थे।

रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया गया था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को तत्काल नागरिकता दी जाएं। वहीं, इन मुल्कों के बहुसंख्यक को नागरिकता न दी जाए, क्योंकि वह प्रताड़ित होकर नहीं आए हैं।

आरिफ मोहम्मद खान दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित सीपीडीएच बिल्डिग में नागरिकता संशोधन अधिनियम पुस्तक के विमोचन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस पुस्तक में कई मुस्लिम बुद्धिजिवियों के सीएए पर विचार हैं, जिनका संकलन डीयू की प्रोफेसर डॉ. गीता सिंह ने किया है।

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस कानून पर मुसलमानों को बरगलाने का प्रयास हुआ, कहा गया कि यह हिदुओं को नागरिकता देने के लिए नहीं, बल्कि मुसलमानों की नागरिकता छीनने के लिए है। उन्होंने सवाल पूछा कि कानून बने एक साल हो गया है, आखिर कितने मुसलमानों से नागरिकता छीनी गई? कुछ इसी तरह का भ्रम फैलाने का प्रयास तीन तलाक कानून पर भी हुआ था।

पैगंबर मोहम्मद के विवादस्पद कार्टून मामले में फ्रांस समेत इस्लामिक देशों में मचे घमासान पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग इस्लाम को समझते नहीं, वही इसके ठेकेदार बने हुए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने आतंकवाद पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाते हुए विपक्ष के नेताओं सीताराम येचुरी, फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व अखिलेश यादव पर एक साथ प्रहार किया। उन्होंने कहा कि इन्हें आतंकवाद की आलोचना करते किसी ने नहीं देखा होगा। ये ऐसे लोग है, जो अपनी सियासत के लिए राष्ट्रहित से समझौता करते हैं। ये लोग अपनी ही सेना और सरकार पर सवाल उठाते हैं। जबकि, पाकिस्तान व चीन जैसे दुश्मन मुल्कों के साथ खड़े नजर आते हैं। ये लोग उन देशों के हवाले से अपने देश को ही धमकी देते नजर आते हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला कहते हैं कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए चीन की मदद लेंगे।

उन्होंने इस्लामिक कट्टरता पर चुप रहने वाले उदारवादी मुस्लिमों से आगे आकर विरोध करने की अपील करते हुए कहा कि धमकियों से डरना नहीं है, बल्कि खुलकर आलोचना करनी होगी। तभी बदलाव आएगा। विमोचन कार्यक्रम को डीयू के कार्यकारी कुलपति प्रो. पीसी जोशी व गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने भी संबोधित किया, जबकि मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद समेत कई अन्य प्रबुद्ध लोगों की मौजूदगी रही।


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