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रसायनिक आपदा से बचाव के हैं पुख्ता प्रावधान, लेकिन नहीं होता नियमों का पालन

रेवाड़ी इलाके में दिल्ली जयपुर हाईवे पर रसायन से भरे टैंकर के दुर्घटनाग्रस्त होने से 100 से ज्यादा गायों की मौत हो गई। कुछ महीने पहले दिल्ली के कश्मीरी गेट थाना क्षेत्र में पलटे टैंकर के रसायन की चपेट में आकर सड़क से गुजर रहे तीन युवकों की मौत हो गई थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 11:08 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 11:08 PM (IST)
रसायनिक आपदा से बचाव के हैं पुख्ता प्रावधान, लेकिन नहीं होता नियमों का पालन
रसायनिक आपदा से बचाव के हैं पुख्ता प्रावधान, लेकिन नहीं होता नियमों का पालन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

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रेवाड़ी इलाके में दिल्ली जयपुर हाईवे पर रसायन से भरे टैंकर के दुर्घटनाग्रस्त होने से 100 से ज्यादा गायों की मौत हो गई। कुछ महीने पहले दिल्ली के कश्मीरी गेट थाना क्षेत्र में पलटे टैंकर के रसायन की चपेट में आकर सड़क से गुजर रहे तीन युवकों की मौत हो गई थी। दिल्ली-एनसीआर में लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं ने सुरक्षा प्रबंध को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, खतरनाक रसायन ले जाने वाले टैंकर के संबंध में कई कड़े प्रवाधान किए गए हैं, लेकिन कहीं भी नियमों का पालन नहीं होता। ट्रांसपोर्टर और मैन्युफैक्चर कंपनियां सावधानी नहीं बरतती। चालकों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाता, जिस कारण हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) से जुड़ी आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. मुक्ता गिरधर कहती हैं कि विकास के साथ ही भारत में लगातार रसायन का प्रयोग बढ़ रहा है। इससे होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई कड़े नियम बनाए गए हैं। उत्पादक से लेकर इसे ढ़ोने वाली कंपनियों को सख्त निर्देश हैं, लेकिन अफसोस है कि कहीं भी मापदंडों का पालन नही हो रहा है। दुर्घटनाओं में चालक ही अहम भूमिका

डॉ. मुक्ता गिरधर ने कहा कि रसायन से होने वाली दुर्घटनाओं में चालक की काफी अहम भूमिका होती है। चालक को दुर्घटना की सूचना तुरंत ट्रोल नंबर पर देने का निर्देश है, लेकिन जानकारी के अभाव में वे ऐसा नहीं करते। जिसके कारण लोग और जानवरों के खतरनाक रसायन के चपेट में आने से जान तक चल जाती है। इसके लिए उत्पादक और ट्रांसपोर्ट कंपनी पूरी तरह जिम्मेवार है। लापरवाही पाए जाने पर कंपनी को सील करने के साथ ही आर्थिक जुर्माना लगाया जाता है।

यह है मानक

-जिस टैंकर से रसायन ढोया जा रहा है, उसमें जीपीएस सिस्टम लगा हो। ताकि एजेंसियों को टैंकर की लोकेशन पता चलती रहे।

-टैंकर पूरी तरह से सील बंद होना चाहिए। ताकि उसमें मौजूद रसायन कही न गिरे।

-टैंकर चलाने वाले चालक और क्लीनर को पुख्ता प्रशिक्षण देना चाहिए।

-वाहनों की तय समय पर फिटनेस की जांच करना अनिवार्य है।

-इस तरह के वाहन को खास और निर्धारित सुरक्षित रास्ते से गंतव्य के लिए रवाना किया जाता है।

- टैंकर चालक को हर दो घंटे में वाहन की जांच, उसमें हुए रिसाव, टायरों के तापमान की जांच करने के निर्देश हैं।

- वाहन के रुट की पूरी जानकारी सड़क परिवहन और राजमार्ग विभाग को पहले से देनी होती है। इसके लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर-1073 बना रखा है।

-राजमार्ग के अधिकारी वाहन के साथ प्रत्येक 50 किमी दूरी की सड़क पर एंबुलेंस और क्रेन का प्रबंध करते हैं। ताकि दुर्घटना होने पर तुरंत स्थित को सामान्य किया जा सके।


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