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जांचा जाएगा पर्यावरण पर हवाई सफर का असर

दिल्ली-एनसीआर सहित देश-दुनिया में आबोहवा को प्रदूषित करने में सड़क ही नहीं हवाई सफर भी अहम भूमिका निभा रहा है। उड़ने एवं उतरने के दौरान तो हवाई जहाज सामान्य के मुकाबले चार गुना तक जहरीली गैसों का उत्सर्जन करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 12:59 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 12:59 AM (IST)
जांचा जाएगा पर्यावरण पर हवाई सफर का असर
जांचा जाएगा पर्यावरण पर हवाई सफर का असर

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

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दिल्ली-एनसीआर सहित देश-दुनिया में आबोहवा को प्रदूषित करने में सड़क ही नहीं, हवाई सफर भी अहम भूमिका निभा रहा है। उड़ने एवं उतरने के दौरान तो हवाई जहाज सामान्य के मुकाबले चार गुना तक जहरीली गैसों का उत्सर्जन करते हैं। वहीं रनवे पर जाम होने के कारण नीचे और ऊपर दोनों ही जगह हवाई जहाज के चालू रहने से भी प्रदूषण फैलता है। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस पर विस्तृत अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। सरकारी स्तर पर इसे लेकर कुछ मानक तय करने की जरूरत भी महसूस की जा रही है। यही वजह है कि सीपीसीबी ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय एवं एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस आशय का नोटिस भी जारी कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक, हवाई जहाजों में हालांकि रिफाइंड एविएशन टरबाइन ऑयल का उपयोग किया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण काफी कम होता है। लेकिन, विमानों के ईंधन से जो सेकेंडरी आर्गेनिक एयरोसोल (एक प्रकार के बारीक प्रदूषक कण) उत्पन्न होते हैं, वे पर्यावरण की दृष्टि से खासी चिता का विषय हैं। यह प्रदूषण तब ज्यादा होने लगता है जब हवाई जहाज को उड़ने एवं उतरने के दौरान आधे से लेकर एक घंटे तक का भी इंतजार करना पड़ जाता है। इस दौरान विमान का इंजन चालू रहता है, ईंधन जलता रहता है। इतना ही नहीं, एयरपोर्ट पर चलने वाली ज्यादातर गाड़ियां भी डीजल चालित होती हैं, जो प्रदूषण फैलाती हैं।

इसी के मद्देनजर हाल ही में हुई सीपीसीबी की 190वीं बोर्ड बैठक में इस विषय पर गंभीरता से विचार हुआ। अधिकारियों की ओर से बताया गया कि हवाई यात्रा से बढ़ते वायु प्रदूषण पर अध्ययन के लिए नागरिक उड्डयन के महानिदेशक से स्वीकृति मिल चुकी है। जल्द ही इस दिशा में शोधपरक अध्ययन शुरू हो जाएगा।

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आइजीआइ देश में सबसे बड़ा एयरपोर्ट

आइजीआइ एयरपोर्ट देश में सबसे बड़ा एयरपोर्ट है। यहां से रोज तकरीबन 700 यात्री और 500 कार्गों विमानों का आवागमन होता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मुंबई का छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा आता है। बॉक्स-2

हवाई सफर से हर साल एक मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन

2013 में सामने आई एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हवाई सफर से सालाना करीब एक मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश की जीडीपी में 1.5 फीसद हिस्सा उड्डयन क्षेत्र का ही है। निकट भविष्य में भारत उड्डयन हिस्सेदारी वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश होगा। कोट

हवाई यात्राओं से होने वाले प्रदूषण पर सीपीसीबी जल्द अध्ययन शुरू करने जा रहा है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर इस प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कुछ मानक भी तय किए जाएंगे।

-डा. अनिल गुप्ता, सदस्य, सीपीसीबी


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