थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए होगी स्क्रीनिग
रक्त की गंभीर जन्मजात बीमारी थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए दिल्ली के सभी डिस्पेंसरियों व अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिग की जाएगी। इसके लिए दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने दिशा निर्देश तैयार कर एक परफारमा जारी किया है। इस परफारमा के अनुसार डॉक्टरों व नर्सों कार्य करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही हर महीने अस्पतालों व डिस्पेसरियों को रिपोर्ट भी देनी होगी। थैलेसीमिया नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी व महानिदेशाल के अतिरिक्त निदेशक डॉ. एसके अरोड़ा ने कहा कि देश में पहली बार दिल्ली में इस तरह का परफारमा तैयार कर थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए पहल की गई है।
-स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने अस्पतालों व डिस्पेंसरियों को हर माह रिपोर्ट देने का दिया निर्देश
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
रक्त की गंभीर जन्मजात बीमारी थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए दिल्ली की सभी डिस्पेंसरियों व अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिग की जाएगी। इसके लिए दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने दिशा-निर्देश तैयार कर एक प्रारूप जारी किया है। इस प्रारूप के अनुसार डॉक्टरों व नर्सों को निर्देश दिया गया है। साथ ही हर महीने अस्पतालों व डिस्पेसरियों को रिपोर्ट भी देनी होगी। थैलेसीमिया नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी व महानिदेशालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. एसके अरोड़ा ने कहा कि देश में पहली बार दिल्ली में इस तरह का प्रारूप तैयार कर थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए पहल की गई है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में करीब 2600 थैलेसीमिया के मरीज हैं। दिल्ली के 10 अस्पतालों में इसकी जांच व इलाज की सुविधा है। इनमें एम्स, सफदरजंग, आरएमएल अस्पताल, लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज, लोकनायक, जीटीबी, आंबेडकर, डीडीयू अस्पताल, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय व हिदू राव अस्पताल शामिल है। अन्य अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में इसकी जांच की सुविधा नहीं है। उनमें सिर्फ शुरुआती स्क्रीनिग की सुविधा है। स्क्रीनिग के बाद जिन मरीजों में थैलेसीमिया होने की आशंका होगी उन्हें थैलेसीमिया की जांच के लिए अधिकृत अस्पतालों में रेफर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिग और जरूरत पड़ने पर थैलेसीमिया ट्रेट की जांच की जाएगी। थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित महिलाओं के पति की भी जांच कराई जाएगी। यदि पति-पत्नी दोनों थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित होते हैं तो बच्चे को थैलेसीमिया (मेजर) बीमारी होने की आशंका रहती है। ऐसी स्थिति में गर्भपात कराने की सलाह दी जाएगी।
स्कूली छात्रों की भी होगी स्क्रीनिग
डॉ. एसके अरोड़ा ने कहा कि शादी से पहले सभी लड़के-लड़कियों की जांच होनी चाहिए। यदि दोनों थैलेसीमिया माइनर हों तो ऐसी स्थिति में शादी नहीं होनी चाहिए। थैलेसीमिया माइनर होना बीमारी नहीं है पर पति-पत्नी दोनों में यह समस्या हो तो बच्चों को यह बीमारी होने की आशंका अधिक रहती है। लोगों को जागरूक करने के मकसद से 10वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों की स्क्रीनिग कराई जाएगी।