दिल्ली को स्वच्छ बनाने की उत्तरी व दक्षिणी निगमों की कोशिशें धड़ाम
राष्ट्रीय राजधानी को स्वच्छता रैंकिग में देश का सिरमौर बनाने की भाजपा शासित नगर निगमों की कोशिशें धड़ाम हुई है। बुधवार को जारी स्वच्छता रैंकिग 2019 में दक्षिणी नगर निगम पिछले वर्ष की तुलना में 106 अंक फिसल कर 13
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी को स्वच्छता के मामले में देश का सिरमौर बनाने की भाजपा शासित नगर निगमों की कोशिशें धड़ाम हुई हैं। बुधवार को जारी स्वच्छता रैंकिंग 2019 में दक्षिणी नगर निगम पिछले वर्ष की तुलना में 106 अंक फिसलकर 138वें स्थान पर पहुंच गया है। वहीं, उत्तरी नगर निगम भी 76 अंक गिरकर 282वें स्थान पर आ गया है।
रैंकिंग को लेकर दोनों नगर निगमों ने बड़े-बड़े दावे किए थे। अभियान भी चलाए। दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग की गई। फ्लाईओवर के नीचे के खाली स्थानों का सुंदरीकरण किया गया। खूबसूरत बगीचे बनाए गए। जनभागीदारी बढ़ाने के लिए गोष्ठियां और चर्चाएं हुई। इन तमाम प्रयासों के बाद भी स्वच्छता अभियान जमीनी स्तर पर सफल साबित नहीं हो पाया। उत्तरी नगर निगम को खुले में शौचमुक्त का प्रमाण पत्र भी नहीं मिला है। निगम बार-बार दावा करने के बाद भी इसमें विफल साबित हुआ है। जब सर्वेक्षण की टीम निरीक्षण करने पहुंचती है तो खुले में शौच करते लोग मिल जाते हैं।
खराब है शौचालयों की स्थिति
दक्षिणी व उत्तरी दिल्ली नगर निगमों के शौचालयों की दशा बदतर है। जनसंख्या के अनुपात में इनकी संख्या कम होने, दूर-दूर होने, गंदगी के कारण उपयोग लायक नहीं होने की शिकायतें मिलती रहती हैं। पानी न होने की समस्या से भी निगम के कई शौचालय जूझ रहे हैं। शौचालयों को 24 घंटे खोलने में भी निगम विफल है। कई शौचालयों के बंद होने व अतिक्रमण होने की शिकायतें भी निगमों की बैठकों में उठती रहती हैं।
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कूड़ा प्रबंधन में कछुआ चाल
नगर निगमों ने दावा किया था कि जल्द ही लैंडफिल साइट खत्म हो जाएंगी। कूड़े का 100 फीसद प्रबंधन होगा, लेकिन कूड़े के बेहतर प्रबंधन में निगम कछुए की चाल से चल रहे हैं। इस कारण कूड़े से बिजली व खाद बनाने की व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। यह औपचारिकता मात्र है, जिससे अधिकांश कूड़ा लैंडफिल साइट पर जा रहा है। प्रयोग के तौर पर गीले व सूखे कूड़े को अलग करने का प्रयास कुछ वार्डो में हुआ, लेकिन यह अब तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है। लोगों में भी इसको लेकर जागरूकता नहीं है।
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हड़ताल ने भी किया बदहाल
उत्तरी दिल्ली नगर निगम को फिसड्डी घोषित कराने में आर्थिक तंगी भी कम जिम्मेदार नहीं रही। नगर निगम आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो सफाई कर्मियों को वेतन भुगतान में देरी होती रही। इस वजह से सफाई कर्मचारी हड़ताल पर जाते रहे। जानकारों का मानना है कि अगर दक्षिणी नगर निगम जल्द नहीं चेतेगा तो अगले कुछ वर्षो में उसे भी इस स्थिति से गुजरना पड़ सकता है, क्योंकि उसके भी आय के स्रोत घट रहे हैं और कर्मचारियों को वेतन देने में मुश्किल आ सकती है।
स्वच्छता रैंकिंग में ये रही दिल्ली के निकायों की स्थिति
वर्ष 2019-2018-2017-2016
दक्षिणी निगम-138-32-202-39
उत्तरी निगम-282-206-279-43 ::::::::::::::::::
हमारी कोशिश थी कि इस साल टॉप 10 की सूची में आ जाएं, लेकिन रैंकिंग पहले के मुकाबले और ज्यादा खराब हो गई। कारणों को जानने की कोशिश करेंगे और पूरी ताकत से अगले साल के सर्वेक्षण के लिए जुटेंगे।
-शिखा राय, अध्यक्ष, स्थायी समिति (दक्षिणी दिल्ली नगर निगम)
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इस बार हमने लोगों की भागेदारी बढ़ाई। हमने पूरे प्रयास किए। सार्वजनिक शौचालयों की दशा सुधारने के साथ ही सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने में जनभागीदारी बढ़ाई। वार्ड स्तर पर जनभागीदारी वाली सफाई निगरानी समिति बनाई। आरडब्ल्यूए व एनजीओ को जोड़ा। हम निराश नहीं है, बल्कि हमारी कोशिश होगी की अगली बार 50 अंकों के भीतर आएं।
आदेश गुप्ता, महापौर, उत्तरी दिल्ली नगर निगम