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याकूब मेमन फांसीः दिन में ‘शबनम’, रात में ‘शत्रुघ्न’ से सस्पेंस

दिन में ‘शबनम’, रात में ‘शत्रुघ्न’- यही दो मामले हैं जिनकी वजह से अंतिम समय तक याकूब मेमन की फांसी पर सस्पेंस बना रहा। खासकर शत्रुघ्न चौहान का मामला, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को आधी रात को याकूब की याचिका पर सुनवाई करनी पड़ी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 09:33 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 04:25 PM (IST)
याकूब मेमन फांसीः दिन में ‘शबनम’, रात में ‘शत्रुघ्न’ से सस्पेंस

नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। दिन में ‘शबनम’, रात में ‘शत्रुघ्न’- यही दो मामले हैं जिनकी वजह से अंतिम समय तक याकूब मेमन की फांसी पर सस्पेंस बना रहा। खासकर शत्रुघ्न चौहान का मामला, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को आधी रात को याकूब की याचिका पर सुनवाई करनी पड़ी।

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शत्रुघ्न मामले में दिए थे दिशा निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने शत्रुघ्न मामले में जनवरी 2014 में फैसला सुनाते हुए मृत्युदंड की सजा पाने वाले कैदियों के लिए 12 सूत्री-दिशा-निर्देश तय किए थे। इनके अनुसार मृत्युदंड की सजा पाने वाले को दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी से पहले कम से कम 14 दिन का नोटिस देना चाहिए।

फांसी की सजा पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज

इससे कैदी को मानसिक तौर पर फांसी के लिए तैयार होने, वसीयत तैयार करने व अन्य सांसारिक मामलों को निपटाने का वक्त मिल जाता है। कैदी को परिवार के सदस्यों से अंतिम मुलाकात का मौका भी मिल जाता है।

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याकूब के परिवार ने इसी दिशा-निर्देश को आधार बनाकर गुहार लगाई कि राष्ट्रपति ने दया याचिका बुधवार देर रात खारिज की है, इसलिए फांसी 14 दिन के लिए टाली जाए। याकूब की फांसी का समय बृहस्पतिवार की सुबह ही तय हुआ था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को आधी रात को ही इस याचिका पर सुनवाई करनी पड़ी।

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कानूनी विकल्प का पेंच

शीर्ष अदालत ने शबनम और सलीम मामले में कहा था कि मृत्युदंड की सजा पाने वाले दोषी के जब तक सभी कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते, उसे फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता। याकूब के परिवार ने इस मामले का हवाला देते हुए कहा था कि उनके पास भी कानूनी विकल्प हैं इसलिए डेथ वारंट को रद किया जाए।


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