जय माता दी के जयकारों से गूंजा यमुनापार
यमुनापार के विभिन्न मंदिरों में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों ने शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन किया।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली:
यमुनापार के विभिन्न मंदिरों में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों ने शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन किया। कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में सरकार के दिशा निर्देशों का विशेष पालन किया गया। सुबह से ही श्रद्धालुओं का मंदिरों में आने का सिलसिला आरंभ हो गया, जो दोपहर तक जारी रहा। हालांकि, मंदिरों में धूप, दीप, चुनरी व नारियल अर्पण करने की अनुमति नहीं थी। श्रद्धालुओं ने माता से विश्व की खुशहाली व कोरोना महामारी के निवारण के लिए प्रार्थना की। इस दौरान सभी मंदिरों में कलश स्थापना के साथ विशेष पूजा-अर्चना की गई।
खजूरी खास डी-ब्लॉक स्थित महागौरी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित देवेंद्र आचार्य ने बताया कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। मंदिर में न तो प्रसाद लाने की अनुमति है और न ही मंदिर से श्रद्धालुओं को प्रसाद दिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यता है कि कलश में भरा गंगाजल नौ दिनों तक अमृत तुल्य बन जाता है। मां भगवती का जन्म पर्वत राज हिमालय के यहां हुआ था इसलिए इन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है। वहीं, शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला देवी मंदिर के सह प्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि जनकल्याण, विश्व शांति व कोरोना मुक्त समाज को समर्पित स्वामी राजेश्वरानंद महाराज का नवरात्र पूर्ण कालीन मौन व्रत रखा हुआ है। मंदिर के सह प्रबंधक राम वोहरा ने कहा कि अगर मांगने की आदत न छूटे तो नवरात्र में शक्ति से कर्मानुसार फल ही मांगना चाहिए।
चंदू पार्क पुरानी अनारकली स्थित श्री सीताराम संतसेवा मंदिर व गौसेवा सदन में महंत महामंडलेश्वर श्रीराम गोविद दास महात्यागी महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने शांति पूर्वक पूजा की। मंदिर परिसर में शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखा गया। महात्यागी महाराज ने संदेश में कहा कि कोरोना महामारी से जितना बचाव हो सके उतना बचाव करें। सरकार के दिशानिर्देश का पालन करें। आपकी एक छोटी से समझ आपको व आपके परिवार को इस संकट से बचा सकती है। इसी तरह से मयूर विहार फेस-2 स्थित नीलम माता मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने खुद से शारीरिक दूरी का पालन कर माता के दर्शन के लिए पहुंचे। मंदिर में प्रवेश से पहले मंदिर प्रशासन द्वारा सरकार के दिशानिर्देश पर थर्मल स्क्रीनिंग की गई।