आत्मनिर्भरता के गुर सिखाकर सैनिकों के लिए बनवाई स्वदेशी राखियां
तुहीना गोयल ने सेवा भारती की मदद से देश के जवानों के लिए बनवाई 12 हजार स्वदेशी राखियां।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : महिला सशक्तिकरण तभी संभव है जब आत्मनिर्भरता के साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता भी हो। महिलाओं को जरूरत है अपने अस्तित्व को पहचानने और इसे बनाये रखने की। इसी अस्तित्व से पहचान कराकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं, भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के सहप्रभारी डॉ. अनिल गोयल की बेटी तुहीना गोयल। उन्होंने सेवा भारती की महिलाओं को आत्मनिर्भरता के गुर सिखाकर देश के जवानों के लिए स्वदेशी राखियां बनाकर तैयार करवाई हैं।
तुहीना ने बताया कि उन्हें भारतीय शिल्प बढ़ावा देने वाली क्राफ्ट्समार्क संस्था की ओर से स्वदेशी राखी बनाने का प्रोजेक्ट मिला। जिसके तहत उन्होंने दिल्ली व एनसीआर के अलग-अलग क्षेत्रों में सेवा भारती संगठन की महिलाओं से स्वदेशी राखियां बनवाकर उन्हें आत्मनिर्भरता के गुर भी सिखाए, जिससे वह आगे चलकर भी इस काम के माध्यम से रोजगार कमा सकें। उन्होंने कहा कि इससे स्वरोजगार के साथ-साथ भारतीय शिल्प को भी बढ़ावा मिलेगा।
सेवा भारती व हाउस ऑफ तुहिना की महिलाओं ने मिलाया हाथ
तुहीना ने बताया कि करीब 200 महिलाओं ने मिलकर स्वदेशी राखियां बनाने में अपना योगदान दिया, जिनमें सेवा भारती संगठन की करीब 50 महिलाएं शामिल हुई। तुहीना ने ही सभी महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। राखी बनाने के लिए सूती धागे, मोती आदि सामान भी तुहीना द्वारा ही उपलब्ध कराया गया। इन महिलाओं की मदद से 12 हजार राखियां मात्र पांच दिन में बनाकर तैयार कर दी गई। सेना के वीर जवानों के लिए भेजी गई स्वदेशी राखी
यह सूती धागों से बने रक्षा सूत्र बॉर्डर पर तैनात सेना के जवानों के लिए भेजे गए हैं, जिनमें पेंडेंट लगाकर स्टे सेफ का संदेश लिखा गया है। तुहीना ने चीनी वस्तुओं के विरोध फलस्वरूप यह 12 हजार भारतीय राखियां तैयार करवाई हैं, जिन्हें रक्षाबंधन पर हमारे वीर जवान भाई अपनी कलाई में बांधेंगे।