पुत्र का दावा, कराई गई थी लालबहादुर शास्त्री की हत्या
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री के पुत्र व पूर्व सांसद सुनील शास्त्री ने दावा किया है कि शास्त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं हुई थी। उनकी हत्या कराई गई थी। यदि पोस्टमार्टम कराया जाता तो सच्चाई तभी सामने आ जाती।
गुड़गांव, [आदित्य राज] । पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री के पुत्र व पूर्व सांसद सुनील शास्त्री ने दावा किया है कि शास्त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं हुई थी। उनकी हत्या कराई गई थी। यदि पोस्टमार्टम कराया जाता तो सच्चाई तभी सामने आ जाती। अब केंद्र सरकार को शास्त्री जी की मौत की सच्चाई देश के सामने रखनी चाहिए।
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सुनील शास्त्री ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि भारत-पाक युद्ध (1965) की समाप्ति के बाद जब बाबू जी ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए जाते समय पूरी तरह स्वस्थ थे। उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं थी। फिर 1966 में 11 जनवरी की रात अचानक उनकी मृत्यु कैसे हो गई? मृत्यु भी समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद हुई थी।
ये सारी बातें किसी बड़ी साजिश की ओर इंगित कर रही हैं। मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया। पोस्टमार्टम कराने में क्या परेशानी थी? उनका पार्थिव शरीर जब देश लाया गया तो काफी लोगों ने देखा था कि चेहरा, सीना और पीठ से लेकर कई अंगों पर नीले और उजले निशान थे।
हार्ट अटैक से मौत होने पर इस तरह के निशान नहीं आते हैं। इन सारी बातों से तो यही लगता है कि या तो उन्हें जहर दिया गया या फिर उनपर हमला किया गया। मौत के बाद से ही पूरा देश सच्चाई जानना चाहता है, लेकिन सरकार बताने को राजी नहीं।
छुपाने का मतलब ही साजिश
कई बार यह कहा गया कि देश की सुरक्षा और विदेशी संबंधों के लिहाज से शास्त्री जी की मौत के रहस्य से पर्दा उठाना सही नहीं है। यही बात दर्शाती है कि दाल में कुछ काला है। यदि मौत हार्ट अटैक से ही हुई थी तो अब तक की सरकारें सच्चाई सामने रखने से क्यों घबराती रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरे देश को बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्होंने ताशकंद में जाकर बाबू जी को श्रद्धांजलि भी दी है। यदि मौत की सच्चाई सामने आए जाए तो दिल को तसल्ली होगी।
बाबूजी बहुत स्वाभिमानी थेः सुनील शास्त्री
पूर्व सांसद सुनील कहते हैं कि बाबूजी हर पल देश की मजबूती के लिए सोचते रहते थे। उनके शासनकाल में देश में अन्न संकट गहराने लगा था। वह चाहते थे कि देश के लोग एक शाम का उपवास रखें। इसके लिए सबसे पहले अपने परिवार को एक सप्ताह तक शाम के दौरान भूखे रखा।
जब उन्हें महसूस हुआ कि एक शाम लोग भूखे रह सकते हैं तो फिर देश की जनता से सप्ताह में एक शाम अन्न त्यागने की अपील की। बाबू जी की अपील का असर ऐसा हुआ कि उस समय न केवल घरों में, बल्कि होटलों में भी चूल्हे जलने बंद हो गए थे।
वह अंदर से बहुत मजबूत और स्वाभिमानी थे। जब वह ताशकंद समझौते के लिए जा रहे थे तो उनसे सवाल किया गया कि आप कद में काफी छोटे हैं और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान काफी लंबे हैं। आपको बातचीत में परेशानी नहीं होगी। इस पर बाबू जी ने जवाब दिया कि भारत सिर उठाकर बात करेगा जबकि पाकिस्तान सिर झुकाकर बात करेगा।