स्मॉग टावर ढाई किलोमीटर दूर तक की हवा को करेगा शुद्ध
जागरण संवाददाता पूर्वी दिल्ली वायु प्रदूषण को कम करने के लिए आनंद विहार बस अड्डा परिसर
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए आनंद विहार बस अड्डा परिसर में स्मॉग टावर लगाने के लिए गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं। यहां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को टावर लगाना है। इसके लिए परिवहन विभाग 2600 वर्ग मीटर जमीन अस्थायी उपयोग के लिए हस्तांतरित कर चुका है। मिट्टी की जांच का काम चल रहा है। कुछ दिनों में जमीन के ऊपर टावर लगाने का काम दिखने लगेगा। यह लगने वाला स्मॉग टावर 60 फीट ऊंचा होगा, जो जून 2021 तक लगाकर चालू कर दिया जाएगा। इससे पहले दिल्ली में लाजपतनगर में 20 फीट ऊंचा स्मॉग टावर लग चुका है।
आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के ठीक सामने त्रिकोणीय आकार में जमीन खाली है। वहां इस टावर को लगाया जाएगा। बोर्ड के सदस्यों के अनुसार यहां लगने वाला स्मॉग टावर ढाई किलोमीटर दूर तक की दूषित हवा को सोख कर उसे शुद्ध करेगा। इसमें 15 से ज्यादा पंखे और फिल्टर लगे होंगे। धरातल पर काम शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच और निशान लगाने का काम किया जा रहा है।
18.83 करोड़ रुपये आएगी लागत
यहां स्मॉग टावर को लगाने में 18.83 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस टावर का डिजाइन आइआइटी बांबे ने तैयार किया है। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड इसे बनाएगी। ऐसे काम करता है स्मॉग टावर
स्मॉग टावर एक तरह से बड़े आकार का एयर प्यूरिफायर है। इसमें लगे पंखे दूषित हवा को खींच लेते हैं। यह अंदर लगे फिल्टर और अन्य उपकरण वायु में घुले कार्बन और धूल कणों को अलग कर शुद्ध वायु को वापस वातावरण में छोड़ देता है।
'वायु' हुआ फेल
इस बस अड्डे के सामने चौधरी चरण सिंह मार्ग के डिवाइडर पर प्रयोग के तौर पर 10 'वायु' नाम के छोटे एयर प्यूरिफायर ढाई साल पहले लगाए गए थे, जो फेल साबित हुए थे। यह राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), सीपीसीबी और पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की संयुक्त पहल थी।
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आनंद विहार में लगने वाला स्मॉग टावर ढाई किलोमीटर दूर तक की दूषित हवा को खींच कर उसे शुद्ध करेगा। सीपीसीबी इसे लगाने के लिए मिट्टी जांच समेत अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने का कार्य कर रही है। जल्द लोगों को धरातल पर स्मॉग टावर लगाने का काम दिखाई देने लगेगा। यह दिल्ली में लग रहा सबसे बड़ा स्मॉग टावर है। इसलिए इसे लगाने में वक्त लगेगा।
- डॉ. अनिल गुप्ता, सदस्य, सीपीसीबी