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नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की मुस्कान लौटाएगा इस्माइल क्लब

ललित कौशिक, नई दिल्ली नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं के चेहरे पर पुन: मुस्कान लाने के लिए दिल्ली बाल अध

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 07:44 PM (IST)
नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की 
मुस्कान लौटाएगा इस्माइल क्लब
नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की मुस्कान लौटाएगा इस्माइल क्लब

ललित कौशिक, नई दिल्ली

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नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं के चेहरे पर पुन: मुस्कान लाने के लिए दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने कदम बढ़ाया है। आयोग दिल्ली के प्रत्येक जिले में स्माइल क्लब स्थापित करने जा रहा है, जहां दुष्कर्म पीड़िताएं एक छत के नीचे दुखद स्मृतियों से बाहर निकालने के लिए एक-दूसरे को संबल प्रदान करेंगी।

डीसीपीसीआर ने तीन महीने के अंदर यह क्लब स्थापित करने का लक्ष्य बनाया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए काम किया जा रहा है। डीसीपीसीआर का दावा है कि देशभर में दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए पुनर्वास और उनकी जिंदगी को नई दिशा देने के लिए इस तरह का यह पहला कदम होगा। इसके लिए समाजसेवी संगठनों की भी मदद ली जाएगी।

डीसीपीसीआर के अध्यक्ष रमेश नेगी बताते हैं कि दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़िता की भले ही काउंसलिंग हो जाती हो लेकिन, मानसिक अवसाद की जद में वह जरूर रहती है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद उसका अकेलापन और ज्यादा बढ़ जाता है। यहां तक कि ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं कि अभिभावक भी उनसे बात नहीं करना चाहते हैं। तनाव के कारण दुखद स्मृतियों को भुलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसी पीड़िताओं को दर्दभरी दुनिया से बाहर निकालने के लिए स्माइल क्लब बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पीड़िताओं को इस ट्रॉमा से बाहर निकालने के लिए दो मनोवैज्ञानिक डॉक्टर भी नियुक्त किए जाएंगे। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा, जिसके हिस्सा वे खुद बन सकेंगी। दास्तानगोई से लेकर कई प्रकार की दूसरी गतिविधियां भी होंगी, जिसमें खाना-पीना से लेकर नाचना व गाना भी शामिल है। फिर इन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रहरी बनाया जाएगा ताकि किसी दूसरी पीड़िता के मन में भी सम्मानजनक जीवन जीने का साहस भर सकें।

वहीं डीसीपीसीआर की सदस्य ज्योति राठी बताती हैं कि इस स्माइल क्लब से पहले चरण में सौ नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं को जोड़ा जाएगा। जिसके लिए समाजसेवी संस्थाओं की मदद से उनकी सूची तैयार की जा रही है। यह पीड़िताएं होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर भी एक-दूसरे से मिल सकेंगी। साथ ही डीसीपीसीआर को पीड़िताओं की यथास्थिति के बारे में जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी।


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