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नवंबर में निर्णय आने के बाद अगले साल से शुरू होगा राम मंदिर निर्माण: आलोक कुमार

सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में भारतीय धरोहर के वार्षिक सम्मेलन का संबोधित करते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 1

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:47 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 06:33 AM (IST)
नवंबर में निर्णय आने के बाद अगले साल से 
शुरू होगा राम मंदिर निर्माण: आलोक कुमार
नवंबर में निर्णय आने के बाद अगले साल से शुरू होगा राम मंदिर निर्माण: आलोक कुमार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

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सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में भारतीय धरोहर के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए विश्व हिदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 18 अक्टूबर तक राम जन्म भूमि पर मंदिर संबंधी सुनवाई पूरी हो जाएगी। 15 नवंबर तक जिस निर्णय का हम और आप प्रतीक्षा कर रहे हैं, वो आएगा। इसके बाद पांच-छह महीने में सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अगले साल तक मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

इस वार्षिक सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भारतीय धरोहरों के संरक्षण एवं नवीन अनुसंधानों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील समाज पूरे विश्व को बाजार मानते हैं जबकि हम पृथ्वी को मां और विश्व को परिवार मानते हैं।

आलोक कुमार ने कहा कि जब से सुप्रीम कोर्ट बना है। कोई मामला पांच दिन नहीं सुना जाता था। तीन दिन सुनवाई को भी डे टू डे सुनवाई कही जाती थी। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म भूमि मसले में सभी पक्षों से पूछा कि और कितना समय लगेगा और फिर कहा कि हम सप्ताह में छह दिन शाम को पांच बजे तक सुनवाई करेंगे। 18 अक्टूबर तक सुनवाई एवं फिर 15 नवंबर तक निर्णय आ जाएगा। निर्णय के बाद ज्यादा से ज्यादा पांच-छह महीने का समय लगेगा अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में। अगले साल से मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा एवं पांच साल में भव्य मंदिर बनकर तैयार होगा। आलोक कुमार ने सभी परिवारों से एक-एक ईट लेकर आने को कहा। 2025 के कुंभ तक ध्वज पताका फहराएंगे। वहीं रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि धरोहरों को अपने जीवन में लाना होगा। जब हम धरोहरों को अपनी जिदगी में शामिल करेंगे तो धरोहर संरक्षित होंगी। भारत की संस्कृति, संस्कार और परंपरा ही धरोहर है। भारत का प्राच्य ज्ञान, विज्ञान जो शाश्वत है, खत्म नहीं हो सकता है। उसे नवीन अनुसंधान के जरिये आगे ले जाना है। आज दुनिया के 190 देशों में योग किया जा रहा है। कुछ तो कारण होगा। दरअसल, दुनिया ने महसूस किया है कि तन और मन को स्वस्थ्य रखना है तो योग जरूरी है। उन्होंने संस्कार रहित, परंपराओं से अनभिज्ञ व्यक्ति को कटी पतंग की तरह कहा।

पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि आजादी के बाद की सबसे बड़ी गलती अंग्रेजों द्वारा दी गई शिक्षा पद्धति को स्वीकार करना है। हम चाहते हैं कि शिक्षा पद्धति बदले। प्रसिद्ध शेफ संजीव कपूर ने खान-पान के जरिये आहार व्यवहार में बदलाव की वकालत की। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि 47 सभ्यताएं ऐसी थीं जो एक काल विशेष में शीर्ष पर थीं। उन्होंने शासन भी किया। प्राय: सारी सभ्यताएं खो गई, लेकिन हमारे विचार, धरोहर आज भी जीवित हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी को गीता, उपनिषद, महाभारत, योग, ब्रह्मसूत्र, वेद पढ़ने की सलाह दी। गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र का मंचन

भारतीय धरोहर के वार्षिक सम्मेलन में रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास का जीवन चरित्र मंच पर जीवंत हो उठा। मानस की चौपाइयों ने लोगों को भाव विभोर किया। एकल नाटक तुलसीदास के मंचन के दौरान पद्मश्री शेखर सेन के भावपूर्ण अभिनय का हर किसी ने आनंद लिया और गोस्वामी जी के बारे में जाना भी। संगीत और अभिनय की जुगलबंदी ने सबका ध्यान खींचा। शेखर ने ही इस नाटक को लिखा है और उन्होंने अकेले ही इसे प्रस्तुत भी किया। मंच पर कथानक के अनुसार दृश्य डिजिटल लाइट के जरिये उभरते हुए सुंदर लगे।


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