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आंखो की पुतलियों ने किया परेशान, सिद्धार्थ ने नहीं मानी हार और कर दिया कमाल

दिव्यांग श्रेणी मेंं 96.8 प्रतिशत अंक पाकर देश मेंं दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले सिद्धार्थ बिस्वास ने हर परेशानी को मत दी और आज उनके पिता को सिद्धार्थ पर गर्व है।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 21 May 2016 08:19 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2016 07:34 AM (IST)
आंखो की पुतलियों ने किया परेशान, सिद्धार्थ ने नहीं मानी हार और कर दिया कमाल

नई दिल्ली [भगवान झा]। आंखो की पुतली सिद्धार्थ बिस्वास के वश मेंं नहींं हैंं, फिर भी उसने उसके साथ सामंजस्य बिठाकर 12वीं के परीक्षा परिणाम मेंं दिव्यांग श्रेणी मेंं पूरे देश मेंं दूसरा स्थान प्राप्त किया। उसे पढ़ने मेंं दिक्कत हुई, लेकिन कभी भी अपनी इस कमजोरी को मेहनत के बीच मेंं नहींं आने दिया।

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96.8 प्रतिशत अंक पाकर देश मेंं दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले सिद्धार्थ के पिता ग्रुप कैप्टन जयंतो बिस्वास ने बताया कि हमेंं इसकी उम्मीद नहींं थी कि सिद्धार्थ पूरे देश मेंं दूसरे नंबर पर आएगा। हमेंं तो सिर्फ इतना भरोसा था कि वह अच्छे नंबर से पास होगा। परीक्षा परिणाम ने उम्मीद से ज्यादा दिया। यह हमारे लिए गर्व की बात है।

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सिद्धार्थ ने अंग्रेजी मे 95, भौतिकी मेंं 99, गणित मेंं 99, रसायन मेंं 95 व कंप्यूटर साइंस मेंं 96 अंक प्राप्त किए। अब सिद्धार्थ की तमन्ना इंजीनियर बनने की है। जयंतो ने बताया कि वह इंजीनियरिंग की तैयारी मेंं जुटा हुआ है। उसका मकसद एक अच्छा इंजीनियर बनना है। वह कॉन्जेनाइटल निस्टैगमस से पीड़ित है। पिता ने बताया कि सिद्धार्थ छह इंच की दूरी से ही पढ़ सकता है। पिता ने बताया सिद्धार्थ का इलाज धौला कुआं स्थित आर आर अस्पताल मेंं चल रहा था, लेकिन वो ठीक नहींं हो सका।

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क्या है कॉन्जेनाइटल निस्टैगमस
यह बीमारी आंखो के मसल मेंं कमजोरी होने के कारण होती है। इसमे आंख की पुतली अपने आप मूव करती रहती है, जिससे किसी एक वस्तु पर फोकस नहींं बन पाता है। इसमेंं तेज धूप, तेज रोशनी होने की स्थिति मेंं पीड़ित को कठिनाइयां होती है। इसके अलावा कंप्यूटर व टीवी देखने के दौरान अगर ब्राइटनेस ज्यादा है तो पीड़ित उसपर फोकस ही नहींं कर पाता है।


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