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दिल्ली में भी स्कूलों में अवकाश की फीस मांग रहे अभिभावक

-कराची हाई कोर्ट का आदेश सोशल मीडिया पर हो रहा है वायरल -स्कूलों में अवकाश पर फीस

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 08:34 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 08:34 PM (IST)
दिल्ली में भी स्कूलों में अवकाश की फीस मांग रहे अभिभावक
दिल्ली में भी स्कूलों में अवकाश की फीस मांग रहे अभिभावक

वीके शुक्ला, नई दिल्ली :

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पाकिस्तान के कराची हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद दिल्ली में भी अब लोग पब्लिक स्कूलों से मई व जून की फीस वापस मांग रहे हैं। कई लोगों ने दिल्ली सरकार से स्कूलों की शिकायत है कि जब स्कूलों में बच्चों का अवकाश रहता है तो उनसे दो माह की फीस क्यों ली जा रही है। वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के दफ्तर में पहुंची इस तरह की शिकायतों पर दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने पब्लिक स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सरकार के इस तरह के नोटिस को लेकर पब्लिक स्कूल संचालकों में रोष है।

बता दें कि कराची हाई कोर्ट ने 5 मार्च 2018 को आदेश जारी किया था कि छुंट्टी के दो माह जून व जुलाई के लिए पब्लिक स्कूल बच्चों से फीस न लें। कराची हाई कोर्ट के आदेश का नंबर 5812ऑफ 2015 एसओ (जी-111) एसई/2एल/पीएस एचसी/ 3-859/18 है। इस आदेश के ऊपर हाई कोर्ट लिखा है। अब दिल्ली में भी अभिभावक स्कूलों में जाकर बच्चों की मई व जून की ली गई फीस वापस मांग रहे हैं। वहीं कुछ अभिभावकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी इस बारे में शिकायत की है। एक अभिभावक ने उत्तरी-पूर्वी जिले के दिलशाद गार्डन स्थित सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल के बारे में फीस को लेकर केजरीवाल से शिकायत की थी। जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा मांगे गए जवाब में शिक्षा विभाग के उत्तरी पूर्वी मंडल के उपनिदेशक ने 31 मई को स्कूल के नाम नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। वहीं स्कूल के निदेशक शशिकांत भारती का कहना है कि शायद प्रशासन को इस बारे में कुछ भ्रम रहा होगा। इसलिए नोटिस जारी किया गया है। क्योंकि यह बात शिक्षा विभाग को भी पता है कि जब शिक्षकों को 12 माह का वेतन दिया जाता है तो बच्चों से भी 12 माह की फीस ली जाती है। इसके लिए शिक्षा विभाग के एक्ट में प्रावधान है। यह स्थिति कराची हाई कोर्ट के आदेश के कारण हो रही है। उन्होंने कहा कि कुछ अभिभावक स्कूल भी आए थे जो कराची हाई कोर्ट का आदेश दिखा रहे थे। उन्हें समझाया गया कि यह आदेश पाकिस्तान का है।

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कराची हाई कोर्ट के वायरल हो रहे आदेश के चलते भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। मैंने दस दिन पहले दिल्ली सरकार को पत्र लिखा था कि वह इस मामले में स्थिति स्पष्ट कर दें। मगर सरकार पब्लिक स्कूलों में दंगे फसाद करानी चाहती है। यही कारण है कि वह चुप बैठी है। जबकि दिल्ली एजुकेशन एक्ट रूल्स 1973 के अनुसार स्पष्ट है कि अभिभावकों को बच्चों की स्कूल फीस 12 माह की देनी होगी। ऐसे में भी यदि सरकार किसी स्कूल को नोटिस जारी करती है तो यह ठीक नहीं है।

आर सी जैन

अध्यक्ष

दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल्स मैनेजमेंट एसोसिएशन


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