दिल्लीवालों के दिल में आजमगढ़ बसा गए कलाकार
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली : लोधी एस्टेट स्थित अलायंस फ्रांसेस में बनारस गायिकी के हरिहरपुर घरा
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली : लोधी एस्टेट स्थित अलायंस फ्रांसेस में बनारस गायिकी के हरिहरपुर घराना के कलाकारों ने बुधवार को भी दिल्ली के संगीत प्रेमियों पर अपनी सुर साधना का जादू चलाया। हरिहरपुर घराने के कलाकार पंडित भोलानाथ मिश्रा और पंडित सुदर्शन मिश्रा ने राग यमन में युगल गायन किया। उन्होंने 'पिया की नजरिया जादू भरी..' से शुरुआत की और बंदिश 'सखी ऐ री आली पिया बिना..' तक लोगों को बांधे रखा। उन्होंने बनारस अंग का दादरा 'नजरिया लग जाएगी मेरे कान्हा को, कोई मत देखो..' के माध्यम से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। सुर यात्रा जब भैरवी में ठुमरी 'बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए..' और 'निकस किया जाए न तुम बिन सइयां..' तक पहुंची तो लोगों ने जमकर तालियां बजाईं। तबले पर आनंद मिश्रा और सारंगी पर विवेक मिश्रा ने संगत दी। फिर आदर्श मिश्रा, भास्कर मिश्रा व उनकी टीम ने राग दुर्गा में 'देवी दुर्गे दायिनी.. दया करो..' तीन ताल में और 'जय जय जय दुर्गे माता भवानी' एक ताल में सुनाया। इसके बाद गरुण मिश्रा व अंजनी मिश्रा ने एक ताल में विलंबित बंदिश 'सजना मोरे आओ' राग मारू बिहाग में सुनाया।
इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में बनारस गायिकी के हरिहरपुर घराना के 25 कलाकारों को बुलाया गया था।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव के कलाकारों ने इस कार्यक्रम के जरिये दिल्ली के कलाप्रेमियों ने विशेष छाप छोड़ी। कलाकार भोलानाथ मिश्रा ने कहा कि एक छोटे से गांव के कलाकारों की साधना आज राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच रही है, इसके पीछे घराने के पूर्वजों व गुरुओं के 200 साल का गौरवशाली संघर्ष है। इस दौरान ट्रस्ट के चेयरमैन एसके मिश्रा, वाइस चेयरमैन योगेंद्र नारायण और ट्रस्टी अनीता ¨सह मौजूद रहीं।
गौरतलब है कि हरिहरपुर गांव अपनी 200 साल पुरानी बनारस घराने की अपनी पुरबंग गायिकी में ठुमरी, टप्पा, होरी, चैती, सादरा, दादरा, तराना, कजरी, झूला आदि के लिए मशहूर है। ट्रस्ट इस विरासत को दूर-दूर तक पहुंचाने के लिए इन कलाकारों के साथ काम कर रहा है।