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गृहसचिव ने मानी वेतन असमानता की बात, पुलिसकर्मियों में खुशी

-सीबीआइ, आइबी समेत पैरा मिलिट्री व केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से दिल्ली पुलिस का वेतनमान कम

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 03:02 AM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2018 03:02 AM (IST)
गृहसचिव ने मानी वेतन असमानता 
की बात, पुलिसकर्मियों में खुशी
गृहसचिव ने मानी वेतन असमानता की बात, पुलिसकर्मियों में खुशी

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली

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सीबीआइ, आइबी, आइटीबीपी, सीआरपीएफ, बीएसएफ समेत केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से दिल्ली पुलिस के एसआइ, इंस्पेक्टर व एसीपी का वेतनमान कम होने के मसले पर बीते 6 फरवरी को गृह मंत्रालय में केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई। गृहसचिव ने वेतन असमानता की बात मानी और उसे दूर करने के संकेत दिए। इससे दिल्ली पुलिस में खुशी की लहर है।

मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक बैठक में गृहसचिव ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से सीबीआइ, आइबी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी समेत केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस में तैनात एसआइ, इंस्पेक्टर व एसीपी के वेतनमान की जानकारी देने को कहा है। दिल्ली पुलिस को कहा गया है कि वे अपने प्रस्ताव के साथ उक्त जानकारी दो हफ्ते के अंदर दें, जिससे यह पता लगाया जा सके कि सीबीआइ, आइबी, पैरा मिलिट्री समेत केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से दिल्ली पुलिस के एसआइ, इंस्पेक्टर व एसीपी ग्रेड के अधिकारियों के वेतन कितने कम हैं।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि 2016 में छठा वेतन आयोग लागू होने के दौरान सीबीआइ, आइबी समेत उक्त सभी फोर्स के बराबर ही दिल्ली पुलिस के एसआइ, इंस्पेक्टर व एसीपी के वेतन थे, लेकिन बीच में ही सीबीआइ, आइबी समेत पैरा मिलिट्री के अधिकारियों ने प्रस्ताव भेजकर मांग की थी कि उनके एसआइ, इंस्पेक्टर व एसीपी की तनख्वाह बढ़ा दी जाए। उन्होंने ड्यूटी कठिन होने का हवाला दिया था। इसे मान लिया गया और उनकी तनख्वाह बढ़ा दी गई। सातवां वेतन आयोग लागू होने से पहले आयोग के अध्यक्ष जस्टिस माथुर ने सीबीआइ, आइबी समेत पैरा मिलिट्री के मुखिया, केंद्र शासित प्रदेशों व दिल्ली पुलिस के मुखिया से अपनी बात रखने को कहा था। सभी ने अपनी अपनी बातें रखी थीं, लेकिन दिल्ली पुलिस की गुहार नहीं सुनी गई। सातवें वेतन आयोग में दिल्ली पुलिस के एसआइ, इंस्पेक्टर व एसीपी का वेतन उक्त फोर्स से कम कर दिया गया। इसके बाद कई पुलिसकर्मियों ने कैट का भी दरवाजा खटखटाया। मामला तूल पकड़ता देख जनवरी में केंद्रीय गृह सचिव ने दिल्ली पुलिस को अपना पक्ष रखने के लिए मंत्रालय में तलब किया था। छह फरवरी को दिल्ली पुलिस की तरफ से विशेष आयुक्त मुख्यालय आरएस कृष्णैया, डीसीपी स्टेब्लिशमेंट आरए संजीव व डीसीपी मुख्यालय विक्रमजीत सिंह बैठक में शामिल हुए। उन्होंने विस्तृत रूप से अपनी बात रखी, जिसे गृह सचिव ने माना कि ऐसा गलत हुआ है। करीब 25 हजार कर्मी इससे प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि संख्या बल की कमी के कारण उनकी ड्यूटी का भी कोई पैमाना नहीं है। उन्हें भी कई बार दो अथवा इससे अधिक दिनों तक लगातार ड्यूटी करनी पड़ती है। 24 घंटे राजधानी की कानून व्यवस्था संभालने की अहम जिम्मेदारी उनपर है। अ‌र्द्धसैनिक बलों के कर्मियों की ड्यूटी आठ -आठ घंटे की होती है। अ‌र्द्धसैनिक बलों की तरह दिल्ली पुलिस भी भारत सरकार के अधीन है। ऐसे में वेतन के मामले में दिल्ली पुलिस के साथ भेदभाव क्यों।


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