Move to Jagran APP

ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन के साथ हुआ साहित्योत्सव का समापन

साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित छह दिवसीय साहित्योत्सव का शनिवार को ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन के साथ समापन हुआ। भाषा सम्मान अर्पण, आदिवासी लेखिका सम्मिलन, साहित्य अकादमी पुरस्कार अर्पण, पूर्वोत्तरी लेखक सम्मिलन, संवत्सर व्याख्यान, युवा सहिती और भारतीय साहित्य में गांधी सरीखे कार्यक्रमों और देश भर से पहुंचे 250 से ज्यादा साहित्यकारों की उपस्थिति ने कार्यक्रम में समां बांधा। आखिरी दिन बच्चों के लिए भी विभिन्न बाल गतिविधियां आयोजित हुई। इसके अंतर्गत कविता-कहानी लेखन प्रतियोगिता, कार्टून बनाने का सत्र, बाल साहित्यकारों के साथ बातचीत और बाल कहानियां सुनाने तथा बहादुर बच्चे के साथ संवाद जैसे कई आयोजन किए गए। कार्टूनिस्ट उदय शंकर ने बच्चों को कार्टून बनाना सिखाया वहीं, बाल लेखक दिविक रमेश और रंजनीकांत शुक्ल ने बच्चों से बातचीत की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 08:26 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 08:26 PM (IST)
ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन के साथ हुआ साहित्योत्सव का समापन
ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन के साथ हुआ साहित्योत्सव का समापन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित छह दिवसीय साहित्योत्सव का शनिवार को ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन के साथ समापन हुआ। भाषा सम्मान अर्पण, आदिवासी लेखिका सम्मिलन, साहित्य अकादमी पुरस्कार अर्पण, पूर्वोत्तरी लेखक सम्मिलन, संवत्सर व्याख्यान, युवा सहिती और भारतीय साहित्य में गांधी सरीखे कार्यक्रमों और देश भर से पहुंचे 250 से ज्यादा साहित्यकारों की उपस्थिति ने कार्यक्रम में समां बांधा। आखिरी दिन बच्चों के लिए भी विभिन्न बाल गतिविधियां आयोजित हुई। इसके अंतर्गत कविता-कहानी लेखन प्रतियोगिता, कार्टून बनाने का सत्र, बाल साहित्यकारों के साथ बातचीत और बाल कहानियां सुनाने तथा बहादुर बच्चे के साथ संवाद जैसे कई आयोजन किए गए। कार्टूनिस्ट उदय शंकर ने बच्चों को कार्टून बनाना सिखाया, वहीं बाल लेखक दिविक रमेश और रजनीकांत शुक्ल ने बच्चों से बातचीत की।

loksabha election banner

पहली बार हुआ ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन : साहित्योत्सव के साथ दिल्ली में भी पहली बार ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन वक्तव्य प्रख्यात ट्रांसजेंडर साहित्यकार मानबी बंदोपाध्याय ने किया। ट्रांसजेंडर कवियों को मंच प्रदान करने के लिए अकादमी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अवसर हम सभी के लिए स्मरणीय है और इससे सबके लिए सम्मान के नए रास्ते खुलेंगे। कवि सम्मेलन में पश्चिम बंगाल, बिहार एवं छत्तीसगढ़ से आए देवज्योति भट्टाचार्जी, रानी मजुमदार, शिवानी आचार्य, रेशमा प्रसाद, देवदत्त विश्वास, अहोना चक्रवर्ती, प्रस्फुटिता सुगंधा, विकशिता डे, कल्पना नस्कर, अंजलि मंडल, रवीना बारिहा एवं अरुणाभ नाथ ने अपनी कविता प्रस्तुत की। सभी कवियों की कविताओं में उनके घर वालों की ओर से उनकी उपेक्षा करना तथा समाज की ओर से उन्हें स्वीकार न करने का दर्द था। समारोह के समाप्ति दिवस पर 'भारत में प्रकाशन की स्थिति' व 'भारतीय साहित्य में गांधी' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.