स्वदेशी समाज की समग्र व्यवस्थाओं का आधार : वी भागैया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह वी भाग्गैया ने कहा कि स्वदेशी कोई नारा या अभियान मात्र नहीं है। बल्कि यह समाज की सुख समृद्धि सुरक्षा और शांति सहित समग्र व्यवस्थाओं का आधार है। उन्होंने कहा कि विकास के वर्तमान आर्थिक मॉडल का अनुसरण करते हुए प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करके मनुष्य के उपयोग के लिए व्यवस्थाएं खड़ी की गई हैं जिसके कारण विश्व में अशांति अविश्वास अराजकता और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह वी भागैया ने कहा कि स्वदेशी कोई नारा या अभियान मात्र नहीं है, बल्कि यह समाज की सुख, समृद्धि, सुरक्षा और शांति सहित समग्र व्यवस्थाओं का आधार है। उन्होंने कहा कि विकास के वर्तमान आर्थिक मॉडल का अनुसरण करते हुए प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करके मनुष्य के उपयोग के लिए व्यवस्थाएं खड़ी की गई हैं, जिसके कारण विश्व में अशांति, अविश्वास, अराजकता और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
अब लोगों में इस व्यवस्था से यूटर्न लेने की व्याकुलता बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि विकास के इस विनाशकारी मॉडल को बदलने के लिए स्वदेशी जागरण मंच की ओर से स्वदेशी स्वावलंबन अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि विचार परिवार के संगठनों के अलावा गायत्री परिवार व जग्गी जी महाराज सहित कई अन्य संगठनों ने भी इसको अपना अभियान माना है। 26 अप्रैल को सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी स्वदेशी का आह्वान किया है।
भागैया स्वदेशी जागरण मंच के स्वदेशी स्वावलंबन अभियान के समन्वयक सतीश कुमार की ओर से लिखित पुस्तक 'भारत मार्चिग टुवर्ड स्वदेशी एंड सेल्फ रिलायंस' (अंग्रेजी)व 'स्वदेशी स्वावलंबन की ओर भारत' के ऑनलाइन विमोचन के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले 250 वर्षो को छोड़ दें तो भारत सदैव ही संपन्न गांवों का देश रहा है। तेलंगाना के गांव का लोहा इंग्लैंड जाता था। बंगाल और तमिलनाडु के गांवों से कपड़ा निर्यात होता था। अब भी विजयवाड़ा में गो आधारित संस्था ने पांच करोड़ रुपये का लाभदायक उत्पादन किया है। इस अभियान का उद्देश्य यही है कि कृषि को विकास का आधार बनाया जाए और इसका केंद्र ग्राम हो। अब आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार की नीतियों में यह परिलक्षित भी हो, यह इस अभियान का लक्ष्य है।