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आरटीआइ को लेकर दोहरा मानदंड अपना रहा मुख्यमंत्री कार्यालय!

संजय सलिल, बाहरी दिल्ली दिल्ली के मुख्यमंत्री का कार्यालय सूचना के अधिकार (आरटीआइ) को लेक

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Sep 2017 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 08 Sep 2017 09:36 PM (IST)
आरटीआइ को लेकर दोहरा मानदंड अपना रहा मुख्यमंत्री कार्यालय!
आरटीआइ को लेकर दोहरा मानदंड अपना रहा मुख्यमंत्री कार्यालय!

संजय सलिल, बाहरी दिल्ली

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दिल्ली के मुख्यमंत्री का कार्यालय सूचना के अधिकार (आरटीआइ) को लेकर दोहरा मानदंड अपना रहा है। ऐसा आरटीआइ आवेदनों को लेकर किया जा रहा है। इसमें एक आवेदन में वांछित जानकारी मुहैया कराने के लिए अधीनस्थ विभाग को स्थानांतरित कर दिया जाता है तो दूसरे आवेदन को नियम का हवाला देते हुए संबंधित विभाग के बदले सीधे आवेदक को वापस भेज दिया जाता है। तुर्रा यह है कि आवेदक जब अपने आवेदन को स्थानांतरित नहीं करने के कारणों की जानकारी मांगता है तो मुख्यमंत्री कार्यालय आरटीआइ कानून की आड़ लेकर यह जानकारी देने से भी इन्कार कर देता है।

इस दोहरे रवैये से लोगों को समय पर सूचना पाने के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास या तो नए सिरे से आरटीआइ लगाने या उस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के सिवा कोई चारा नहीं होता है।

कादीपुर निवासी हरपाल ¨सह राणा आरटीआइ कार्यकर्ता हैं। वे ढाई साल में मुख्यमंत्री कार्यालय में आरटीआइ के तहत कई आवेदन भेज चुके हैं। उनके कई आवेदन को संबंधित विभाग को भेज दिए गए तो कई को यह कहकर वापस कर दिया गया कि सीधे संबंधित विभाग में आरटीआइ लगाएं।

मुख्यमंत्री कार्यालय के इस रवैये से वे हैरान हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में दिल्ली के न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों व कर्मियों की हाजिरी प्रणाली की जानकारी मांगी तो उस आवेदन को उन्हें वापस भेज दिया गया। दिल्ली भवन एवं सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की योजनाएं, वर्ष 2014 से लेकर 2016 तक कुल बजट, लाभ पाने वाले श्रमिकों की संख्या आदि संबंधित जानकारी मांगने वाले आवेदन को भी लौटा दिया, जबकि स्वास्थ्य नीति, उद्योग धंधों के लिए कर्ज लेने के प्रावधानों के अलग -अलग आरटआइ को जानकारी देने के लिए संबंधित विभाग को स्थानांतरित कर दिए गए। उनके खाते में इस दोहरे रवैये के कई उदाहरण हैं।

सूचना देने से किया इन्कार

हरपाल ने इसी साल 29 जुलाई को मुख्यमंत्री कार्यालय में आरटीआइ के माध्यम से आवेदनों की स्थिति में जानकारी मांगी कि उनके कितने आवेदन संबंधित विभाग को स्थानांतरित किए और कितने स्थानांतरित नहीं किए गए। उन्होंने इसके कारणों के बारे में भी जानकारी मांगी। उन्हें 16 अगस्त को जन सूचना अधिकारी भूपेंद्र कुमार ने वांछित सूचना को आरटीआइ के दायरे से बाहर बताकर देने से असमर्थता जता दी।

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अर¨वद केजरीवाल को सूचना के साथ नागरिक अधिकारों के आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाने की वजह से ही रमन मैग्सेसे अवार्ड मिला था, लेकिन दुख है कि उनका कार्यालय ही आरटीआइ का सही तरीके से अनुपालन नहीं कर रहा है। इस रवैये से लोगों को सूचना पाने से वंचित होना पड़ रहा है। उन्हें इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

-हरपाल ¨सह राणा, आरटीआइ कार्यकर्ता।


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