दिल्ली सरकार के खिलाफ खड़े हुए रेजिडेंट डॉक्टर
-फोर्डा ने मैक्स का लाइसेंस रद करने का किया विरोध -कहा, घटना के लिए अस्पताल का लाइसेंस रद
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद करने की कार्रवाइ का दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) द्वारा विरोध करने के बाद अब सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर भी दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन फोर्डा (फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए उसका विरोध किया है। एसोसिएशन का कहना है कि पूरी जांच हुए बगैर अस्पताल का लाइसेंस रद करना गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई है।
एसोसिएशन का कहना है कि इलाज में लापरवाही साबित होने पर आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। सीधे अस्पताल का लाइसेंस रद कर देने से उस अस्पताल में कार्यरत सभी डॉक्टर, नर्सिग कर्मचारी व पैरामेडिकल कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा हजारों मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विवेक चौकसे ने कहा कि सरकार का फैसला सिर्फ लोगों को खुश करने वाला है। इस फैसले से चिकित्सा पेशे के प्रति लोगों में गलतफहमी और बढ़ेगी। यह चिकित्सा जगत व समाज दोनों के लिए उचित नहीं है। भारत सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाले देशों की सूची में शामिल है। फिर भी स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर व मरीजों के लिए किफायती बनाने की जगह राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है। एसोसिएशन के महासचिव डॉ. मनीष निगम के कहा कि सरकार को स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए। ताकि भविष्य में दोबारा ऐसी घटना न हो सके। उल्लेखनीय है कि मैक्स अस्पताल में गर्भावस्था के 22वें सप्ताह में जन्मे जीवित नवजात को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। बाद में वह नवजात जीवित पाया गया। हालांकि छह दिन बाद उस नवजात की मौत हो गई थी। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉ. विजय गुर्जर ने भी कार्रवाई का विरोध किया है।