Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लाल किला ब्लास्ट के तीन हफ्ते बाद दिल्ली पुलिस कितनी अलर्ट, NCR में सुरक्षा व्यवस्था का क्या है हाल?

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 10:43 PM (IST)

    लाल किले में हुए ब्लास्ट के तीन हफ्ते बाद, दिल्ली पुलिस की सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जा रहा है। लाल किले पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, ...और पढ़ें

    Hero Image

    सुरक्षा के मद्देनजर लाल किला के पास लगाए गए हाईटेक CCTV कैमरे और अवैध पटरियों को हटाकर सामान जब्त करके ले जाती निगम व दिल्ली पुलिस की टीम। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गत 10 नवंबर को देश की राजधानी में एक धमाके ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। लाल किले पर हुए आत्मघाती धमाके में 15 लोगों की मौत हो गई। 25 से अधिक लोग घायल हुए। जांच शुरू होते ही पता चल गया कि दिल्ली की सीमा से सटे फरीदाबाद में धमाके से पूर्व 2923 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लाल किला धमाके में भी अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग किया गया। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि देश की दहलाने की साजिश के तहत 3200 किलो आतंकियों ने इकट्ठा किया था। यह भी पता चला कि सफेदपोशों के इस आतंकी माड्यूल के तार देश के कई राज्यों और दूसरे देशों से भी जुड़े हैं।

    अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तार

    इसकी जड़ें फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में थीं। आत्मघाती धमाका करने वाला डा. उमर नबी बट्ट था, जो इसी यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था। उसके चिथड़े धमाके में उड़े थे। अब इस मामले की जांच एनआइए कर रही है जो अब तक डा. उमर के सात साथियों को गिरफ्तार चुकी है।

    इनमें कई अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कालेज में डाक्टर भी थे। इस धमाके ने एनसीआर की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा भी शुरू कर दी थी।

    तीन सप्ताह बाद कैसा है हाल

    अब तीन सप्ताह बीतने के बाद एनसीआर में आतंकी हमले के बाद इसकी पुनरावृत्ति और सुरक्षा व्यवस्था सुधारने को लेकर पुलिस की तरफ से क्या-क्या प्रयास किए गए। इसकी पड़ताल के लिए दैनिक जागरण बुधवार से अभियान शुरू कर रहा है। इसमें देखा जाएगा कि किरायेदारों और कर्मचारियों के सत्यापन को लेकर पुलिस कितनी अलर्ट हुई।

    कितना सत्यापन किया गया। धमाके के बाद पुरानी दिल्ली में बाजारों में पुलिस ने यह अभियान चलाने का दावा किया था। वहीं आतंकियों ने फरीदाबाद में जगह-जगह किराये पर मकान लिए थे। ऐसे में किरायेदारों का सत्यापन सुरक्षा व्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है। आतंकी हमले में खुफिया तंत्र की नाकामी भी सामने आई थी।

    लोकल खुफिया तंत्र रक नजर

    पड़ताल में यह देख जाएगा कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोकल खुफिया तंत्र की क्या स्थिति है। इसके साथ धमाके में इस्तेमाल अमोनियम नाइट्रेट खाद विक्रेताओं से खरीदे जाने की बात सामने आई थी। इस पर पुलिस ने रासायनिक पदार्थों के विक्रेताओं को नियमानुसार बिक्री का निर्देश दिया था। एक तरह से बिक्री पर निगरानी की व्यवस्था किए जाने की बात की थी। ये कहां पहुंची। इसकी पड़ताल की जाएगी।

    शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निजी शिक्षण संस्थानों पर नजर रखने की व्यवस्था की भी पड़ताल होगी। ताकि फिर कोई अल-फलाह यूनिवर्सिटी न बन जाए, जहां के डाक्टर विस्फोटक स्टोर करते रहे, आतंकी मंसूबों पर काम करते रहे लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग पाई। इसके साथ पार्किंग स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था, पुरानी कारों की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में व्याप्त खामियों को भी उजागर किया जाएगा।

    नंबर गेम

    • 10 नवंबर को लाल किले के पास हुआ था धमाका
    • 15 लोग हुए थे मौत का शिकार
    • 25+ लोग घायल हुए थे
    • 3200 किलो अमोनियम नाइट्रेट आतंकियों ने इकट्ठा किया था
    • 2923 किलो अमोनियम नाइट्रेट धमाके से पहले फरीदाबाद पुलिस ने जब्त किया था