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Lok Sabha Election 2019: इन 10 वजहों से दिल्ली में नहीं हो पाया AAP-कांग्रेस गठबंधन

दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस (congress) के बीच गठबंधन की कवायद का राजनीतिक ड्रामा (Political Drama) बृहस्पतिवार को खत्म हो गया।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 07:34 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: इन 10 वजहों से दिल्ली में नहीं हो पाया AAP-कांग्रेस गठबंधन
Lok Sabha Election 2019: इन 10 वजहों से दिल्ली में नहीं हो पाया AAP-कांग्रेस गठबंधन

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव-2019 के तहत आगामी 12 मई को दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों (नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, चांदनी चौक, पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली) पर मतदान होना हैं। इस बीच पिछले कई महीनों से चल रहा दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस (congress) के बीच गठबंधन की कवायद का राजनीतिक ड्रामा (Political Drama) बृहस्पतिवार को खत्म हो गया। अब कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको का ही बयान आया है कि AAP-कांग्रेस के बीच दिल्ली में गठबंधन नहीं होगा और शाम तक सभी सीटों पर उम्मीदवारों को ऐलान कर दिया जाएगा। आइये 10 प्वाइंट्स में जानते हैं कि आखिर दिल्ली में AAP-कांग्रेस के बीच गठबंधन क्यों नहीं हो सका।

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1. सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन को लेकर AAP के वरिष्ठ नेता लगातार अपनी मांगें बढ़ा रहे थे। हरियाणा में भी गठबंधन करने का दबाव इसी का हिस्सा था, लेकिन आखिरकार कांग्रेस ने राजनीतिक नफा-नुकसान का आंकलन करने के बाद अपने कदम पीछे खींच लिए। 

2. AAP दरअसल दिल्ली-हरियाणा और पंजाब में गठबंधन पर जोर दे रही थी, लेकिन कांग्रेस सिर्फ दिल्ली पर ही राजी थी। बताया जा रहा है कि जब-जब गठबंधन को लेकर बैठक हुई, कांग्रेस ने AAP की मांग पर ऐतराज किया था और आखिरकार गठबंधन हुआ ही नहीं। 

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3. वर्ष 2019 में ही लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव तो 2020 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी दोनों ही राज्यों में AAP से गठबंधन की सूरत में क्या जवाब देगी? यह सवाल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को परेशान कर रहा था और यह बात राहुल गांधी तक भी पहुंचाई गई थी।

4. दिल्ली में आम आदमी पार्टी का जनाधार खिसक रहा है तो कांग्रेस का वापस आ रहा है, ऐसे में दिल्ली के स्थानीय नेताओं का मानना था कि लोकसभा में AAP से तालमेल न करके अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। इसके पक्ष में सबसे ज्यादा मुखर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थी, जो शुरू से इस गठबंधन के लिए राजी नहीं थीं।

5. स्थानीय नेता बार-बार आलाकमान से कह रहे थे कि जिस कांग्रेस ने 15 साल तक लगातार दिल्ली की सत्ता पर एकछत्र राज किया, ऐसे में इस पार्टी का AAP के संग गठबंधन एक तरह से 'हार' की तरह ही होगा।ऐसे में गठबंधन दिल्ली में कांग्रेस को नुकसान करेगा।

6. कांग्रेस के एक गुट का मानना है कि AAP का वोटबैंक दरअसल कांग्रेस का ही है और जैसे-जैसे AAP दिल्ली में कमजोर होगी, वैसे-वैसे कांग्रेस मजबूत होगी। ऐसे में यह गुट किसी भी कीमत पर AAP से गठबंधन को लेकर सहज नहीं था और न ही चाहता था कि ऐसा हो।

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7.  शीला दीक्षित पहले भी कई बार कह चुकी थीं कि दिल्ली के चुनाव में AAP के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो पार्टी के लिए घातक होगा।

8. कांग्रेस ने AAP को दिल्ली में 4-3 का फॉर्मूला दिया था। इसके तहत 4 पर AAP तो 3 पर कांग्रेस चुनाव लड़ती, लेकिन केजरीवाल समेत AAP के कई नेता कांग्रेस के इस फॉर्मूले से सहमत नहीं थे।

9. एक साल के भीतर हरियाणा विधानसभा चुनाव-2019 और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 होना है, ऐसे में अगर कांग्रेस सत्ता में नहीं आती तो दोनों का एक-दूसरे के खिलाफ लड़ना तय था।

10.  दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Delhi Pradesh Congress Committee) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम शीला दीक्षित यह मानने के लिए तैयार नहीं थीं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी अब भी कांग्रेस से बड़ी पार्टी है। यही वजह है कि वे बराबर गठबंधन को लेकर आलाकमान के समक्ष विरोध दर्ज करा रहा थीं।

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