प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोड़े तीर, धू-धूकर जला रावण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली बुराई पर अच्छाई के विजय के पर्व विजयदशमी पर लाल किला में आयोजित
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
बुराई पर अच्छाई के विजय के पर्व विजयदशमी पर लाल किला में आयोजित रामलीला समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोड़े बाण से रावण धू-धूकर जल उठा। लवकुश रामलीला कमेटी के मंच से जब मोदी ने बाण छोड़ा तब लाल किला परिसर में जय श्री राम और मोदी-मोदी के नारे गूंज उठे। इसके पहले प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संग भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान का राज तिलक किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी भारतीयों को विजयादशमी की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के रूप में यह पर्व मानव मूल्यों और आदर्शो का उत्कृष्ट प्रतीक है। यह समाज को सच्चाई, नैतिकता और मर्यादापूर्ण व्यवहार करने की प्रेरणा देता है। लंकेश जैसे विद्वान व वैभव से भरपूर राजा को भी अमानवीय व अनैतिक कार्यो की वजह से जलना पड़ा।
उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम का आदर्श जीवन मानव समाज के लिए मुख्य संदेश है। समाज के प्रत्येक वर्ग खासकर कमजोर समुदायों के लोगों को सम्मान देना और उनके लिए कार्य करना जितना श्रीराम के जीवनकाल में प्रासंगिक था, उतना ही आज भी है। राम केवट मिलन या गरीब आदिवासी महिला सबरी के बेर खाना ऐसे उदाहरण हैं जो समाज में संवेदनशीलता व सद्भावना जैसे मूल्यों को अनुकरणीय बनाते हैं।
कोविंद ने कहा कि देश में विभिन्न समुदायों के त्योहारों को मनाने का समय है। त्योहार मनाते समय यह ध्यान दें कि दूसरे को असुविधा न हो। इसके साथ ही यह भी याद रखें कि वायु व ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना हम सबका उत्तरदायित्व है। अनुशासित जीवनशैली हम सबको समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बोध कराती है। इस अवसर पर राष्ट्रपति की धर्मपत्नी सविता कोविंद के अलावा मंच पर केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद डॉ. हर्षवर्धन और दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी भी मौजूद रहे।
इसके पहले रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए रामलीला आयोजन के इतिहास की जानकारी दी। साथ ही रामलीला में नई तकनीकी के साथ फिल्म, सियासत और खेल जगत की मशहूर हस्तियों से लीला का मंचन कराने के पीछे की सोच को बताया। लोकप्रिय हस्तियों से मंचन कराकर कोशिश है कि भावी पीढ़ी स्पाइडर मैन जैसे सुपर हीरो की जगह सृष्टि के रचयिता के प्रति आकर्षित हो।
रावण जैसे बलशाली दुष्ट का अंत देखने के लिए लालकिला में दोपहर से ही लोगों की लंबी कतारें लग गई थीं। तीन बजे तक तो कतारें एक किमी तक लंबी हो गई थीं। दिल्ली के साथ ही दूसरे राज्यों से काफी संख्या में लोग आए थे। इनमें अधिकतर तिरंगा लेकर पहुंचे थे।
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तीसरी बार में निकला तीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब प्रतीकात्मक तीर छोड़ रहे थे तो दो बार कमान छोड़ने के बाद भी तीर धनुष से नहीं निकला। आखिरकार तीसरी बार उनका प्रयास सफल हुआ और तीर कमान से छूटा। इसी के साथ रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलने लगे।
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प्रधानमंत्री ने किया राष्ट्रपति का स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। वह उनके आने के कुछ समय पहले ही आ गए थे।