अटल जी के नाम पर होगा ऐतिहासिक रामलीला मैदान
निहाल सिंह, नई दिल्ली कई बड़े आंदोलनों का गवाह रहा दिल्ली का ऐतिहासिक रामलीला मैदान अ
निहाल सिंह, नई दिल्ली
कई बड़े आंदोलनों का गवाह रहा दिल्ली का ऐतिहासिक रामलीला मैदान आने वाले समय में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाएगा। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है। आगामी सदन की बैठक में इसके पारित होने के पूरे आसार हैं।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आदेश गुप्ता ने बताया कि रामलीला मैदान में अटल जी कई जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं। इसलिए उनकी याद में रामलीला मैदान का नाम अब अटल बिहारी वाजपेयी रामलीला मैदान रखने का फैसला किया गया है। इसके अलावा निगम के सबसे बड़े अस्पताल ¨हदूराव का नाम भी वाजपेयी के नाम पर रखा जाएगा। 30 अगस्त को सदन की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव लाया जा रहा है। ऐतिहासिक है रामलीला मैदान
ब्रिटिश काल में रामलीला मैदान एक बड़ा तालाब था, जो अजमेरी गेट तक फैला था। बाद में मिट्टी डालकर इसे समतल किया गया। सरकारों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से इसके कुछ हिस्सों में विकास कार्य कराया। दिल्ली की बड़ी कूलर मार्केट में शुमार कमला मार्केट भी इसका हिस्सा थी। चूंकि यहां रामलीला का आयोजन होने लगा तो इसका नाम रामलीला मैदान पड़ गया। केजरीवाल ने यहीं ली शपथ
रामलीला मैदान कई राजनीतिक घटनाओं का भी गवाह रहा है। वर्ष 2013 में जब पहली बार आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली में सरकार बनी थी तो अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री और उनके कुछ विधायकों ने मंत्री पद की यहीं शपथ ली थी। हालांकि, यह सरकार 49 दिन ही चल सकी थी। वर्ष 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर जब आप ने दोबारा सत्ता हासिल की तो केजरीवाल ने फिर से यहीं अपना शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया था। अन्ना हजारे और रामदेव के आंदोलन का भी रहा है गवाह
योगगुरु बाबा रामदेव द्वारा वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ किया गया आंदोलन हो या समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल के लिए भरी गई हुंकार, दोनों बड़े आंदोलनों का रामलीला मैदान गवाह रहा है। रामदेव के आंदोलन के समय पुलिस ने 5 जून 2011 की रात को लाठीचार्ज कर दिया था, जिसमें कई आंदोलनकारी घायल हो गए थे। वहीं, अन्ना के आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम को नई पहचान दी थी। अन्य ऐतिहासिक बातें
- 1952 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर सत्याग्रह यहीं से शुरू किया था।
- देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1956 और 57 में रामलीला मैदान में विशाल जनसभाएं की थीं। इसके अलावा लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने इसी मैदान से काग्रेस सरकार के खिलाफ हुंकार भरी थी।
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जब अटल जी ने रैली को किया था संबोधित
वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। उस दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में जयप्रकाश नारायण के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी ने भी रैली को संबोधित किया था। वर्ष 1977 में इमरजेंसी खत्म होने पर रामलीला मैदान में फिर रैली का आयोजन किया गया, जिसमें अटल जी भी थे। वह लोगों को संबोधित करने के लिए उठे तो तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया गया। थोड़ी देर शात रहने के बाद उन्होंने कहा, 'बाद मुद्दत मिले हैं दीवाने'..। इसके बाद वह शात हो गए और आखें मूंद लीं। अटल जी जिंदाबाद के नारे लगने लगे। अटल जी ने आखें खोलीं और शांत होने का इशारा किया। इसके बाद कहा- 'कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने..' एक बार फिर से भीड़ नारे लगाने लगी। फिर वाजपेयी ने कहा- 'खुली हवा में जरा सास तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी भला कौन जाने।' इन तीन पंक्तियों में ही अटल जी ने आपातकाल पर पूरी प्रतिक्रिया दे दी थी। 1930 से पहले था तालाब
जहा रामलीला मैदान है, वहा वर्ष 1930 से पहले तालाब था। वर्ष 1930 में इसे भरकर मैदान बनाया गया ताकि रामलीला का आयोजन हो सके। इससे पहले रामलीला लाल किले के पीछे होती थी। यमुना में बाढ़ आने के कारण इस पर असर पड़ता था। रामलीला आयोजन समिति ने स्थानीय प्रशासन से रामलीला के आयोजन के लिए जगह देने का आग्रह किया। इसके बाद प्रशासन ने शहर के बीचों-बीच रामलीला के लिए आयोजन के लिए जगह का चयन किया।
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रामलीला मैदान में स्थायी मंच 1962 में बना
वर्ष 1962 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भारत के दौरे पर आई थीं। उनके सम्मान में रामलीला मैदान में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन होना था। इसलिए वहा स्थायी मंच बनाया गया। -26 नवंबर 1974 को रामलीला मैदान में सोवियत संघ के शिखर नेता ब्रेजनेव के सम्मान में सार्वजनिक सभा हुई थी।
-1932 से रामलीला मैदान में रामलीला का आयोजन होने लगा- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी ने 1971 में पाकिस्तान से युद्घ जीतने के बाद इसी मैदान में एक बड़ी रैली की थी।
- 25 जून 1975 को इसी रामलीला मैदान में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के साथ अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य नेताओं ने बड़ी रैली की थी। :::::::::::