रमजान मुबारक: इंसानियत का पैगाम देता है रमजान
हिंदू, मुस्लिम, इसाई व सिख जैसे धर्म के बंधनो से ऊपर उठकर आपस मे प्यार, मोहब्बत से रहने का सबक देने वाला महीना है।
नई दिल्ली। रमजान इंसानियत का पैगाम देने वाला महीना है। हिंदू, मुस्लिम, इसाई व सिख जैसे धर्म के बंधनो से ऊपर उठकर आपस मे प्यार, मोहब्बत से रहने का सबक देने वाला महीना है। इस महीने मे खुदा की इबादत भी है और मानवता के सारे सबक भी, जो एक आदमी को इंसान बनाता है। मौजूदा हालात मे रमजान का सदेश और भी प्रासगिक हो गया है। इस पाक महीने मे अल्लाह अपने बदो पर रहमतो का खजाना लुटाता है और भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने वालो के गुनाह माफ हो जाते है। ऐसी मान्यता है कि इस माह मे दोजख (नरक) के दरवाजे बद कर दिए जाते है और जन्नत की राह खुल जाती है। लोगो के लिए रोजा अच्छी जिदगी जीने का प्रशिक्षण है, जिसमे इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इसान का जमीर रोजेदार को एक नेक इसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी है।
रोजे रखने का असल मकसद महज भूख-प्यास पर नियत्रण रखना नही बल्कि आत्मसयम, अल्लाह के प्रति आस्था और सही राह पर चलने के सकल्प है। यह महीना इसान को अपने अदर झांकने और खुद का मूल्याकन कर सुधार करने का मौका भी देता है। दुनिया के लिए रमजान का महीना इसलिए भी अहम है, क्योकि अल्लाह ने इसी माह मे हिदायत की सबसे बड़ी किताब यानी कुरान शरीफ का दुनिया मे अवतरण शुरू किया था। इस पवित्र महीने मे सभी मजहब के लोग अपने मुस्लिम भाइयो के लिए जगह-जगह इफ्तार पार्टी का आयोजन कर एकता की एक अनोखी मिसाल पेश करते है। 30 दिनो के रोजे के बाद ईद तोहफे की तरह है, जो कठोर अनुशासन के बाद खुदा ने बख्शा है।