हाई कोर्ट में डीएसपी गुर्म के आवेदन का सीबीआइ ने किया विरोध
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : रिश्वतखोरी के आरोपों से हिली केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
रिश्वतखोरी के आरोपों से हिली केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने बृहस्पतिवार को हाई कोर्ट में अपने ही डीएसपी एसएस गुर्म की याचिका का विरोध किया। सीबीआइ के अलावा सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने भी इसका विरोध किया। एफआइआर रद करने को लेकर अस्थाना की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआइ और अस्थाना के वकील ने डीएसपी की याचिका का विरोध किया।
वहीं, न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने यथास्थिति बनाए रखने की तिथि 14 नवंबर तक बढ़ा दी।
बता दें कि डीएसपी एसएस गुर्म ने बुधवार को राकेश अस्थाना के खिलाफ याचिका दायर कर गंभीर आरोप लगाए थे। गुर्म ने खुद को मामले में पक्षकार बनाने बनाए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने दावा किया था कि अब तक की जांच में सामने आया है कि अस्थाना के नाम पर दिसंबर 2017 में 2.95 करोड़ रुपये और अक्टूबर 2018 में 38 लाख रुपये दिए गए। रिश्वत की रकम का भुगतान करने से पहले सतीश सना को कई समन जारी किए गए, लेकिन भुगतान होने के बाद रहस्यमय तरीके से समन जारी करना बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं सतीश सना का प्रसाद बंधुओं से और प्रसाद बंधुओं का रॉ के विशेष निदेशक सामंत गोयल से लेकर अस्थाना तक कनेक्शन का सुबूत भी सामने आया है। सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच विवाद होने पर एसएस गुर्म का तबादला पोर्ट ब्लेयर, अंडमान एंड निकोबार कर दिया गया था।
बता दें कि मांस कारोबारी मोईन कुरैशी मामले में रिश्वतखोरी के आरोप में सीबीआइ ने राकेश अस्थाना समेत अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। मामले में अस्थाना खेमे के डीएसपी देवेंद्र कुमार और बिचौलिए मनोज प्रसाद को नामजद किया गया था। एफआइआर को रद करने की मांग करते हुए अस्थाना ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने याचिका पर एक नवंबर तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। जिसे बृहस्पतिवार को 14 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया।
--- सीबीआइ के वकील पर भी विवाद
बृहस्पतिवार को इस बात को लेकर विवाद हो गया कि हाई कोर्ट में सीबीआइ का वकील कौन है। सुनवाई के दौरान सीबीआइ की तरफ से दो अधिवक्ता मौजूद रहे। पहली बार मामले में हाई कोर्ट के समक्ष पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने पीठ से कहा कि उन्हें सीबीआइ की तरफ से पेश होने के लिए नियुक्त किया गया है। वहीं दूसरी तरफ 23 अक्टूबर को पेश हुए अधिवक्ता के राघवाचार्यूलू ने विक्रमजीत बनर्जी की मौजूदगी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मामला दाखिल होने के समय से सीबीआइ ने उन्हें पैरवी के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है। बाद में बनर्जी ने कहा कि वह सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करके स्पष्ट करेंगे कि उन दोनों में से सीबीआइ की तरफ से कौन पैरवी करेगा।