डेढ़ वर्ष से बंद पब्लिक लाइब्रेरी बना असामाजिक तत्चों का अड्डा
मुंडका स्थित तकिया तालाब के पास बनी दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी पिछले डेढ़ वर्षों से बंद है लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। लंबे अर्से से बंद होने की वजह से यहां अक्सर असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है जिसकी वजह से लोगों में सुरक्षा को लेकर भी खतरा महसूस होने लगा है। दरअसल, लाइब्रेरी में बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से इसे करीब डेढ़ वर्ष पहले बंद कर दिया गया था और लोगों को यह भरोसा दिलाया गया था कि इसे दोबारो सुविधाओं के साथ इसे लोगों के लिए खोला जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब इस वजह से यहां के लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आज भी लोग इसके खुलने का इंतजार कर रहे हैं, विशेषकर क्षेत्र के युवा और विद्यार्थी इसके बंद होने से अधिक परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
मुंडका स्थित तकिया तालाब के पास बनी दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी डेढ़ वर्ष से बंद है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। लंबे अर्से से बंद होने की वजह से यहां अक्सर असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है। इस वजह से लोगों में सुरक्षा को लेकर भी खतरा महसूस होने लगा है। दरअसल, लाइब्रेरी में बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से इसे डेढ़ वर्ष पहले बंद कर दिया गया था और लोगों को यह भरोसा दिलाया गया था कि इसे दोबारा सुविधाओं के साथ लोगों के लिए खोला जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब इस वजह से यहां के लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आज भी लोग इसके खुलने का इंतजार कर रहे हैं। विशेषकर, क्षेत्र के युवा और विद्यार्थी इसके बंद होने से अधिक परेशान हैं।
क्षेत्र के निवासियों के अनुसार लाइब्रेरी में बिजली व पानी की सुविधा नहीं होने से इसे बंद किया गया था। यहां के कर्मचारियों को पांच-छह महीने तक का वेतन भी नहीं मिला था। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। इसकारण लाइब्रेरी के ऊपर बने कम्युनिटी हॉल में असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया था और हर तरफ गंदगी फैली रहती थी। समस्याओं की वजह से यहां लोगों का आना-जाना कम हो गया। इसके बंद होने से हालात और अधिक खराब हो गए और अब भवन भी जर्जर हालत में पहुंच गया है। इन हालातों में लाइब्रेरी के स्थानांतरण करने की बात शुरू हुई और इसे बंद करने के बाद क्षेत्र के युवाओं और विद्यार्थियों के लिए अन्य विकल्प देने का आश्वासन दिया गया, लेकिन डेढ़ वर्ष बाद भी नई लाइब्रेरी का निर्माण नहीं हुआ और न ही छात्र-छात्राओं के लिए कोई विकल्प सुझाया गया।
--------------------
बचपन से ही लाइब्रेरी में पढ़ते आ रहे हैं, लेकिन अब हमें पढ़ने के लिए विश्वविद्यालयों या दूर जगहों पर बने पुस्तकालय में जाना पड़ता है। इसमें समय और किराया दोनों बर्बाद होते हैं। यदि पब्लिक लाइब्रेरी को दोबारा खोला जाए तो हमें काफी लाभ मिलेगा।
-बिट्टू प्रजापति।
इस लाइब्रेरी में हमारी बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं। अपने कॉलेज की किताबों को न खरीदकर लाइब्रेरी की किताबों से अपना ज्ञान बढ़ाया और कई प्रेरक किताबें भी पढ़ीं, लेकिन अब लाइब्रेरी न होने से छात्रों को पढ़ने में बहुत मुश्किल होती है। इसलिए लाइब्रेरी को फिर से खोलना चाहिए।
- पोनी।
मैंने अपने दोस्तों के साथ लाइब्रेरी में लाइट लगवाने की कोशिश की थी, लेकिन अधिकारियों के बिना सहयोग के लाइट लगवाने में असफल रहे। गर्मी में सबसे ज्यादा समस्या होती थी। यदि सुविधाओं का ध्यान रखा जाता तो यह नौबत नहीं आती।
-राहुल झा।
कई साल तक लाइब्रेरी में बैठ कर किताबें पढ़ता था। बिजली न होने और पंखा नहीं होने पर कई बार शिकायत करने के बावजूद इस समस्या का कोई हल नहीं निकला। आखिरकार, लाइब्रेरी बंद हो गई, लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली।
- शिवम।