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दिल्ली में प्रदूषण से आजादी के लिए यह शख्स लड़ रहा जंग

कृष्णा नगर में रहने वाले बीएस वोहरा (51) इस उम्र में भी प्रदूषण से राजधानी को आजादी दिलाने के लिए व्यवस्था और सरकार से लड़ रहे हैं।

By Edited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 09:36 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 05:57 PM (IST)
दिल्ली में प्रदूषण से आजादी के लिए यह शख्स लड़ रहा जंग
दिल्ली में प्रदूषण से आजादी के लिए यह शख्स लड़ रहा जंग

नई दिल्ली, [शुजाउद्दीन]। प्रदूषण के कारण राष्ट्रीय राजधानी गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है, प्रदूषण से लोगों का दम घुट रहा है। केंद्र, दिल्ली सरकार व सरकारी विभाग प्रदूषण को कम करने के दावे करते रहते हैं, लेकिन हकीकत से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। प्रदूषण के कारण लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। घरों से बाहर निकलने से पहले मास्क लगा रहे हैं, इससे लगता है लोग खुली और स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार लोग खो चुके हैं।

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कृष्णा नगर में रहने वाले बीएस वोहरा (51) इस उम्र में भी प्रदूषण से राजधानी को आजादी दिलाने के लिए व्यवस्था और सरकार से लड़ रहे हैं। वोहरा ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फ्रंट के अध्यक्ष होने के साथ ही पर्यावरण कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) भी हैं। वोहरा का कहना है कि 2014 में उनकी मां की मृत्यु ब्रेन स्ट्रोक के कारण हुई, इस बीमारी का मुख्य कारण प्रदूषण भी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर वर्ष दिल्ली में प्रदूषण के चलते 30 हजार से अधिक लोगों की मौत होती है।

वोहरा ने कहा कि संगठन उन्हीं लोगों को अपने आंकडे़ में शामिल करता होगा, जिसकी जानकारी उसके पास होती होगी। इसके अलावा भी बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रदूषण से अपनी जान गंवा देते हैं। वोहरा ने कहा कि पर्यावरण के लिए लड़ाई पिछले 21 वर्षों से चल रही है। पर्यावरण पर काम सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे ताकि खुद स्वच्छ हवा में सांस ले सकें, बल्कि इसलिए इतनी जद्दोजहद कर रहे हैं क्योंकि स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार स्वयं ऊपर वाले ने दिया है। अधिकार पाने के लिए लड़ा भी जाता है। वोहरा ने कहा कि जिस समय लोग इस संबंध में ज्यादा बात नहीं करते थे, तब से वह पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

वोहरा ने बताया कि, दिल्ली सरकार पर्यावरण पर क्या काम कर रही है, 2006 में आरटीआइ के माध्यम से जानकारी जुटाई। जानकारी काफी चौंकाने वाली मिली, योजनाएं बनीं, लेकिन धरातल तक नहीं पहुंच सकीं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण पीएम 10 पीएम 2.5 पर बात की जाती है, लेकिन पीएम 1 के बारे में क्यों बात नहीं करता। सरकारी विभागों के पास भी पीएम 1 का कोई डाटा नहीं होता।

राजधानी में बढ़ती गाड़ियों पर रोक के पक्ष में वोहरा ने कहा कि गाड़ियों से बेंजीन गैस निकलती है। यह गैस दिखाई नहीं देती, न ही इसमें महक होती है। जिस जगह पांच प्रतिशत से ज्यादा यह गैस रहती है, वहां रहने वाले लोगों को कैंसर और किडनी की बीमारी हो सकती है। उन्होंने दिल्ली सरकार को प्रस्ताव दिया कि यदि दिल्ली में प्रदूषण को रोकना है तो गाड़ियों की संख्या नियंत्रित करो। एक परिवार एक कार का नारा देना होगा, क्योंकि परिवार में जितने सदस्य होते हैं, उतने ही वाहन होते हैं। दिल्ली का क्षेत्रफल तो वही रहेगा। सरकार जब तक सख्त कदम नहीं उठाती, प्रदूषण कम नहीं होगा। किडनी की बीमारी से पीड़ित हो रहे लोग राजधानी का सबसे प्रदूषित इलाका आनंद विहार है, जहां प्रदूषण का स्तर अमूमन खतरे के पार रहता है।

चार वर्ष पहले वोहरा ने आरडब्ल्यूए और एक निजी संस्था के साथ मिलकर कई जगह स्वास्थ्य शिविर लगाए। करीब 700 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। इसमें से 40 प्रतिशत व्यक्ति ऐसे थे, जिन्हें किडनी की बीमारी थी। अधिकतर लोगों को सांस लेने में दिक्कत थी। एक बार फिर से यह शिविर लगाए जाएंगे। सेल्फी विद कूड़ा गत वर्ष पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक हड़ताल की। सड़कों और गलियों की हालत ऐसी हो गई लोगों का निकलना मुश्किल हो गया। उस वक्त वोहरा ने सेल्फी विद कूड़े की शुरुआत की। सेल्फी के माध्यम से उन्होंने निगम और निगम के नेताओं को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि लोग गंदगी से कितने परेशान हैं।


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