व्यावसायिक संपत्तियों देना होगा अधिक संपत्ति कर
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में व्यावसायिक संपत्तियों पर अगले वित्त वष
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में व्यावसायिक संपत्तियों पर अगले वित्त वर्ष से संपत्ति कर पहले से ज्यादा देना होगा। निगम ने तीसरी निगम मूल्याकंन समिति की रिपोर्ट को स्वीकृत कर लिया है। इसके बाद व्यावसायिक क्षेत्रों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों पर पहले से अधिक संपत्ति कर लगेगा और कई श्रेणियों में तो यह दोगुना तक हो जाएगा। निगम का मानना है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। रिहायशी इलाकों पर तो इससे कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन खाली प्लॉट रखने वाले संपत्ति करदाताओं को भी ज्यादा कर देना होगा। निगम को इससे वार्षिक 70-80 करोड़ रुपये की आय बढ़ने की उम्मीद है।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीसरी निगम मूल्याकंन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक निगम के अंतर्गत आने वाले औद्योगिक क्षेत्रों में खाली व बंद संपत्तियों से वर्तमान में फैक्टर-2 के अतंर्गत संपत्ति कर लेना होता हैं, लेकिन समिति की सिफारिशों के अनुसार ये सभी फैक्टर-चार में शामिल हो जाएंगे। इतना ही नहीं, इन संपत्तियों की श्रेणी अब डी ही होगी। इसके साथ ही औद्योगिक इलाके में रिहायश के लिए उपयोग होने वाली संपत्ति का जहां पहले फैक्टर -1 के हिसाब से संपत्तिकर देना होता था, वहीं अब यह दोगुना हो जाएगा। इस पर फैक्टर-2 के हिसाब से संपत्ति कर देना होगा। इसी तरह रिहायशी इलाके में खाली पड़ी जमीन पर पहले जहां 0.3 फैक्टर के हिसाब से संपत्ति कर लिया जाता था, वहीं अब इसे 0.5 फैक्टर में माना जाएगा।
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बारात घरो में समारोह करना होगा महंगा
निगम द्वारा तीसरी मूल्याकंन समिति की सिफारिशों को मंजूरी दिए जाने के बाद दक्षिणी निगम क्षेत्र के बारात घरों की संपत्ति कर में भी बढ़ोतरी होगी। निगम ने इसे फैक्टर-4 से हटाकर फैक्टर-6 में डाल दिया है। इस तरह संपत्ति कर बढ़ जाने से बरात घरों का किराया भी बढ़ सकता है। इससे इनमें शादी और अन्य समारोह का आयोजन करना मंहगा हो सकता है। सिनेमा घर और जिम पर भी बढ़ेगा कर
दक्षिणी निगम के तहत आने वाले सिनेमा घर की संपत्ति और जिम पर भी संपत्ति कर बढ़ जाएगा। सिनेमा घर, क्लब और जिम पर फिलहाल यूज फैक्टर-3 के तहत लगने वाला संपत्ति कर अगले वित्तीय वर्ष से फैक्टर-4 के तहत होगा। इसके अतिरिक्त निगम क्षेत्र के अधीन आने वाले निजी स्कूलों का यूज फैक्टर भी बदल जाएगा। पहले इन पर फीस के हिसाब से फैक्टर तय होता था, वहीं अब सभी निजी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को फैक्टर-3 के हिसाब से संपत्ति कर चुकाना होगा। कंपनियों और उनके कर्मचारियों को रहने के लिए दिए जाने वाले गेस्ट हाउस को फैक्टर-2 के हिसाब से कर चुकाना होगा जबकि लाइसेंस लेकर गेस्ट हाउस चलाने वालों को फैक्टर-3 के हिसाब से कर देना होगा। ---------
औद्योगिक क्षेत्रों में बंद पड़ी संपत्तियों का कर इसलिए बढ़ाया गया है ताकि लोग यहां व्यापार शुरू करें। अगर व्यापार शुरू करेंगे तो इससे लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- भूपेंद्र गुप्ता, सदस्य, स्थायी समिति, दक्षिणी निगम