निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा सामुदायिक शौचालयों का रखरखाव
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
स्वच्छता रैकिग सुधारने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 131 सामुदायिक शौचालयों की देखरेख निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला लिया है। इसके बाद इन 131 सामुदायिक शौचालयों की सफाई से लेकर यहां पर हाथ धोने के लिए साबुन रखने और बिजली पानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी निजी कंपनी की होगी। कंपनी का चयन निविदा प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। इससे पूर्व भी निगम 102 सामुदायिक शौचालयों की देखरेख निजी कंपनी को सौंपने के प्रस्तावों को पारित कर चुका है।
स्थायी समिति के अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने बताया कि निगम अपनी स्वच्छता रैकिग को सुधारने के लिए हर उस क्षेत्र को ठीक करने का प्रयास कर रहा है जहां-जहां कमियां हैं। निगम की समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि निगम में लगातार कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। कर्मचारियों की कमी के चलते इन शौचालयों की सफाई प्रभावित हो रही है। वहीं, अगर हम नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करते हैं तो उसमें समय लगेगा। इसलिए फिलहाल इन शौचालयों का रखरखाव निजी कंपनियों के माध्यम से कराने का फैसला लिया गया है। इसके तहत 131 सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव का कार्य निजी कंपनियां करेंगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल शौचालय साफ रहेंगे बल्कि लोगों को बीमारियों से बचाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही इससे निगम की स्वच्छता रैकिग में भी सुधार होगा। आप और कांग्रेस ने किया विरोध
सामुदायिक शौचालयों का रखरखाव निजी कंपनियों को सौंपने के प्रस्ताव का आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने विरोध किया है। स्थायी समिति में आप पार्षद विक्की गुप्ता और रविद्र भारद्वाज ने इसे निगम का निजीकरण बताया। उन्होंने कहा कि एक ओर निगम के कर्मचारियों को कई माह से वेतन नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर निगम के शौचालयों का कार्य निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है। यह कर्मचारियों के साथ अन्याय है। वहीं, कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने कहा कि यह दिखाता है कि निगम का नेतृत्व कितना अक्षम है। जिस कार्य को निगम को करना चाहिए था उसे अब निजी कंपनियों से कराने के फैसले लिए जा रहे हैं। यह निदनीय है।