पॉश इलाकों में ज्यादा हुआ मतदान
2014 के मुकाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली का मतदान फीसद कम जरूर रहा है लेकिन कई स्तरों पर उसमें दिलचस्प बदलाव भी देखने को मिला है। चाहे यह बदलाव मुस्लिम बहुल इलाकों में हुए जबरदस्त मतदान का हो और चाहे लुटियंस दिल्ली के इलाकों में अपेक्षाकृत काफी कम मतदान का। सबसे अहम पहलू यह कि इस बार अनधिकृत कालोनियों में मतदान कम रहा है जबकि और पॉश इलाकों में कहीं ज्यादा।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
2014 के मुकाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली का मतदान फीसद कम जरूर रहा है, लेकिन कई स्तरों पर उसमें दिलचस्प बदलाव भी देखने को मिला है। चाहे यह बदलाव मुस्लिम बहुल इलाकों में हुए जबरदस्त मतदान का हो और चाहे लुटियंस दिल्ली के इलाकों में अपेक्षाकृत काफी कम मतदान का। सबसे अहम पहलू यह कि इस बार अनधिकृत कालोनियों में मतदान कम रहा है जबकि और पॉश इलाकों में कहीं ज्यादा।
इस बार के चुनावी माहौल में अनधिकृत कालोनियां एक बड़ा मुद्दा थी। खासतौर पर आम आदमी पार्टी की ओर से इस मुद्दे को बार-बार भुनाया गया और इनमें विकास न होने और इनको नियमित नहीं किए जाने को लेकर भाजपा एवं कांग्रेस को भी कठघरे में खड़ा किया। बावजूद इसके उन सभी विधानसभा क्षेत्रों, जहां अनधिकृत कालोनियां आती हैं, मतदान का फीसद अपेक्षाकृत कम ही रहा है। इन विधानसभा क्षेत्रों में आदर्श नगर, वजीरपुर, बुराड़ी, घोंडा, बादली, किराड़ी, नांगलोई जाट, रिठाला, मटियाला, विकासपुरी, बदरपुर, संगम विहार, सदर और तुगलकाबाद के नाम शामिल हैं। इन सभी में मतदान 54 से 59 फीसद पर सिमट गया।
अब अगर पॉश इलाकों की बात करें तो आमतौर पर यही कहा जाता है कि यहां के निवासी प्रतिकूल परस्थितियों में नहीं निकलते। उस लिहाज से इस बार गर्मी तो थी ही, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इन सभी इलाकों में मतदान अच्छा रहा। पॉश इलाकों वाले विधानसभा क्षेत्रों में शकूरबस्ती, शालीमार बाग, कृष्णा नगर, पटपड़गंज, विश्वास नगर, ग्रेटर कैलाश, मालवीय नगर, रोहिणी, द्वारका, जनकपुरी एवं राजौरी गार्डन इत्यादि के नाम शामिल हैं। इन सभी जगह 60 से 68 फीसद तक मतदान हुआ है।
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मुस्लिम इलाकों में भी खूब पड़े वोट
अगर एक ओखला विधानसभा क्षेत्र को छोड़ दें तो बल्लीमारान, मटिया महल, सीलमपुर, सीमापुरी, मुस्तफाबाद, त्रिलोकपुरी और मंगोलपुरी इत्यादि विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 63 से 68 फीसद तक दर्ज किया गया। 2014 के मुकाबले यह पांच फीसद तक ज्यादा रहा है। -------------
आरक्षित सीटों पर भी मतदान फीसद रहा अच्छा
गोकलपुरी, कोंडली, सीमापुरी, त्रिकलोकपुरी, मादीपुर, मंगोलपुरी, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर माजरा, देवली, पटेल नगर और बवाना इत्यादि विधानसभा क्षेत्र आरक्षित श्रेणी में शामिल हैं। यहां पर भी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का जमकर प्रयोग किया। इन सभी जगह मतदान फीसद 58.73 से 67.51 फीसद तक रहा। --------------------
2014 में गर्मी कम थी जबकि इस बार ज्यादा : सीईओ
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. रणबीर सिंह कहते हैं, 2014 के मुकाबले इस बार निस्संदेह कम मतदान हुआ है। तब मतदान 65 फीसद रहा था और अबकी बार 61 फीसद के आसपास ही सिमट गया, लेकिन यह तुलना जायज नहीं है। हर बार की परिस्थितियां अलग होती हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए 10 अप्रैल को मतदान हुआ था। उस समय गर्मी भी बहुत ज्यादा नहीं थी और स्कूल भी खुले हुए थे। जबकि इस बार मतदान मई में होने के कारण गर्मी ठीकठाक थी और बहुत से लोग स्कूल बंद हो जाने के कारण छुंिट्टयां मनाने भी निकल गए। हालांकि 1989 के बाद यह दूसरे नंबर का सर्वाधिक मतदान है। आमतौर पर दिल्ली में 50 से 60 फीसद के बीच ही मतदान कर परंपरा रही है। यहां सर्वाधिक 71.31 फीसद मतदान तो केवल एक बार 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद ही हुआ था।
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