पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री मामले में अपील याचिका पर दिल्ली HC ने जताई चिंता, कहा-पहले देरी पर होगी सुनवाई
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीएम डिग्री मामले में अपील याचिका पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पहले देरी के मुद्दे पर सुनवाई होगी। अदालत ने मामले में हुई देरी पर नाराजगी जताई और इस मुद्दे को प्राथमिकता देने की बात कही। यह मामला पीएम की डिग्री से संबंधित है, जिस पर अदालत अब आगे की कार्यवाही करेगी।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने की मांग वाली अपील याचिका दायर करने में विभिन्न याचिकाओं द्वारा की गई देरी पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिंता जताई।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपीलें समय सीमा के बाहर दायर की गई है और इसलिए अदालत मामले के गुण-दोष की जांच करने से पहले इस पहलू पर सुनवाई करेगा। साथ ही अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से देरी पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने को कहा।
वहीं, डीयू की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने याचिकाकर्ताओं द्वारा देरी के लिए बताए गए कारणों पर गौर नहीं किया है, लेकिन उन्हें मामले के गुण-दोष के आधार पर भी बहस करने में कोई दिक्कत नहीं है।
इस पर अदालत ने कहा कि देरी की माफी के आवेदन पर डीयू आपत्तियां तीन सप्ताह के भीतर दायर कर सकता है। अपीलकर्ता आपत्तियों का जवाब दाखिल कर सकते हैं। साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 16 जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध कर दी।
अपीलकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि इस मामले में दो प्रश्न हैं। पहला यह कि क्या सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) की धारा-आठ के तहत छूट लागू होती है और यदि वे लागू भी होती हैं, तो क्या डिग्री का सार्वजनिक होना व्यापक जनहित में था।
आम आदमी पार्टी (आप) राज्यसभा सदस्य संजय सिंह, सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कार्यकर्ता नीरज शर्मा और अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद द्वारा दायर अपील याचिका में पीएम की डिग्री से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने से इन्कार करने के एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई है।
एकल पीठ ने प्रधानमंत्री की डिग्री का विवरण सार्वजनिक करने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के दिसंबर 2016 के आदेश को रद कर दिया गया था। अदालत ने उक्त आदेश सीआइसी के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका पर दिया था। एकल पीठ ने फैसला सुनाया था कि विवरण सार्वजनिक करने में कोई जनहित नहीं है।
यह मामला तब सामने आया था जब 2016 में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपनी शैक्षणिक डिग्रियों के बारे में स्पष्ट जानकारी देने और उन्हें सार्वजनिक करने का अनुरोध किया था। चुनावी हलफनामे में शपथ पीएम ने कहा था 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक (बीए) राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम में स्नातक किया था।
दिसंबर 2016 में नीरज शर्मा ने डीयू के जवाब के खिलाफ केंद्रीय सूचना आयोग का रुख किया। सीआइसी ने दिसंबर 2016 में एक आदेश पारित किया जिसमें डीयू को 1978 में कला स्नातक कार्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की सूची वाला रजिस्टर सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था। 23 जनवरी 2017 को विश्वविद्यालय ने सीआइसी के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।