पेंटेड स्टोर्क के रंग बिरंगे नवजात को देखने के लिए चिडि़याघर में उमड़ी भीड़
सितंबर के पहले सप्ताह में चिडिय़ाघर पहुंचने वाले खूबसूरत रंग-बिरंगी काया वाले पेंटेड स्टोर्क पक्षियों के घोसलों में बैठे नवजात बच्चों को देखने के लिए चिडिय़ाघर में पक्षी प्रेमियों का तांता लग रहा है। कुछ दिन पहले ही अंडों से निकले ये नन्हे परिंदों सभी के आकर्षण का केंद्र बने
नई दिल्ली [राकेश प्रजापति] । सितंबर के पहले सप्ताह में चिडिय़ाघर पहुंचने वाले खूबसूरत रंग-बिरंगी काया वाले पेंटेड स्टोर्क पक्षियों के घोसलों में बैठे नवजात बच्चों को देखने के लिए चिडिय़ाघर में पक्षी प्रेमियों का तांता लग रहा है। कुछ दिन पहले ही अंडों से निकले ये नन्हे परिंदों सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
इनकी चहचहाहट से चिडिय़ाघर की झील गुलजार हो गई है। गुलाबी छरहरी काया वाले सुंदर पेंटेड स्टोर्क के दर्जनों जोड़े यहां परिवार के साथ खुशनुमा मौसम का आनंद ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह नन्हे परिंदों आने वाले कुछ हफ्तों में झील के इर्दगिर्द उड़ान भरते नजर आएंगे।
नन्हे परिंदों का रंग वयस्कों से भिन्न होता है और गुलाबी रंग निखरने में समय लगेगा। अभी ये सफेद काया पर काले पंखों के साथ घोसलों में बैठे देखे जा सकते हैं। पेंटेड स्टोर्क शांत स्वभाव और एक ही मुद्रा में घंटों खड़े रहने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन चिडिय़ाघर में गूंज रही चहचहाहट से लोगों को लग सकता है कि ये काफी शोर करने वाले पङ्क्षरदे हैं। मार्च-अप्रैल के बीच ये यहां से चले जाएंगे।
चिडिय़ाघर के प्रवक्ता रियाज खान ने बताया कि बच्चे बड़े हो रहे हैं। इस लिए उनकी खुराक का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। झील में इनके भोजन के लिए मछलियां कम न पड़ें, इसका भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसके अलावा बाहर से लाई जाने वाली मछलियों को भी जांच परख कर ही पक्षियों को भोजन के लिए दिया जा रहा है, ताकि नवजात परिंदों की लिए नुकसानदायक न हो। इसके अलावा अन्य जानवरों को भी बाड़े में छोड़ा गया है।
दर्शकों के लिए कई जानवरों को भी बाड़े में छोड़ा
बब्बर शेर के बच्चों को देखने के लिए इनके बाड़े के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हो रहे हैं। बब्बर शेर के नर बच्चे का नाम अमन और मादा का नाम हेमा रखा गया है। अभी इन्हें एक दिन छोड़ कर दर्शकों के लिए बाहर निकाला जा रहा है।
चूंकि अभी एक वयस्क नर रोहन भी इसी बीट में है और बच्चे को भी तो एहतियात के तौर पर इनके साथ में नहीं छोड़ा जाता। बताया जा रहा है कि ये बच्चे बाड़े में छोड़े जाने का काफी आनंद ले रहे हैैं। कई बार तो काफी समय होने के बाद भी इनका मन पिंजरे में घुसने को नहीं करता। बाड़े के माहौल में बच्चे बखूबी ढल गए हैं।
इनके अलावा अभी हाल ही में जयपुर चिडिय़ाघर से लाई गई दो मादा भेडिय़ों को भी बाड़े में छोड़ा गया है। यहां पर इस समय दो नर और दो मादा भेडियों की चहलकदमी से यहां पहुंचने वाले आगंतुकों को निराश नहीं होना पड़ रहा है।
वन्यजीव प्रेमियों के लिए दो मादा गैंडों को भी एक साथ बाड़े में छोड़ा गया है। यह जीव अकेला रहना ज्यादा पसंद करता है, लेकिन ये दोनों मादा मां बेटी हैं। इसलिए इनको साथ रखने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। गैंडा चिडिय़ाघर के उन कुछ जानवरों में से एक है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग बाड़े के बाहर खड़े रहते हैं।
विजय आज भी है सबसे लोकप्रिय
सफेद बाघ विजय को देखने के लिए उसके बाड़े के बाहर लगी आगंतुकों की भीड़ को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह चिडिय़ाघर के सबसे चर्चित जानवरों में अव्वल है। बाड़े के बाहर खड़े गार्ड ने बताया कि यहां हमेशा लोगों की भीड़ लगी रहती है।
सुरक्षा के लिहाज से भीड़ को संभालने के लिए खासी जद्दोजहद करनी पड़ती है। विजय भी लोगों को निराश नहीं कर रहा और इसे आसानी से बाड़े में घूमते देखा जा सकता है।
कभी भी बाड़े मे छोड़े जा सकते हैं नन्हे बाघ
विजय और कल्पना के चार नन्हे बच्चों को कभी भी आगंतुकों के लिए बाड़े में छोड़ा जा सकता है। नन्हे बच्चों के स्वागत के लिए बाड़े की सफाई की गई है। बाड़े में पाना सुखा दिया गया है, ताकि बच्चों के डूबने के खतरे को टाला जा सके। बच्चों को बाड़े में निकालने के साथ ही इनका नामकरण भी कर दिया जाएगा। चार बच्चों में से एक नर और तीन मादा हैं।