प्रवासी साहित्य ने दुनियाभर के साहित्य में झांकने की दृष्टि दी: अनिल जोशी
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज व कैंपस कॉर्नर द्वारा प्रवासी साहित्य की अवधारणा पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज व कैंपस कॉर्नर द्वारा प्रवासी साहित्य की अवधारणा पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें ब्रिटेन के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. पद्मेश गुप्त, जर्मनी से डॉ. राम प्रसाद भट्ट (रीडर एवं सीनियर रिसर्च एसोसिएट, हैम्बर्ग विश्वविद्यालय,भारतीय और तिब्बती संस्कृति एवं इतिहास विभाग, हैम्बर्ग, जर्मनी), बुल्गारिया की हिदी सेवी मौना कौशिक व केंद्रीय हिदी संस्थान आगरा के नव नियुक्त उपाध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर अनिल जोशी ने कहा कि प्रवासी साहित्य ने दुनिया भर के साहित्य में झांकने की दृष्टि दी। उन्होंने प्रवासी साहित्य पर लिखी अपनी पुस्तक पर बात करते हुए कई निर्णायक तथ्य दिए। वहीं, पद्मेश गुप्त ने कहा कि प्रवासी साहित्य भाषा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने पुरवाई पत्रिका की चर्चा करते हुए कहा कि, पुरवाई के माध्यम से प्रवासी साहित्यकारों का एक मंच तैयार हुआ। भारत में जो हम लिखते हैं, वही विदेश में लिखते हैं लेकिन उसकी संवेदना में अंतर आ जाता है। वहीं, राम प्रसाद भट्ट और मौना कौशिक ने भी प्रवासी साहित्य पर विचार रखे। इस मौके पर कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रमा शर्मा, डॉ. प्रभांशु ओझा, अंकिता चौहान व डॉ. महेंद्र प्रजापति भी शामिल रहे।