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जमानत दिलाने में मददगार डॉक्टर के खिलाफ जांच का आदेश

लाइसेंस रद होने के बावजूद भी जमानत लेने व पुलिस हिरासत से रिहा होने के लिए आरोपितों व दोषी की मदद करने वाले डॉक्टर गजिदर कुमार नैय्यर के खिलाफ जांच करने का दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 01:05 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:07 AM (IST)
जमानत दिलाने में मददगार डॉक्टर के खिलाफ जांच का आदेश
जमानत दिलाने में मददगार डॉक्टर के खिलाफ जांच का आदेश

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

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लाइसेंस रद होने के बावजूद भी जमानत लेने व पुलिस हिरासत से रिहा होने के लिए आरोपितों व दोषी की मदद करने वाले डॉक्टर गजिदर कुमार नैय्यर के खिलाफ जांच करने का दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने के आरोप की दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को जांच करने का आदेश दिया। पीठ ने इसके साथ ही पुलिस के विधि शाखा व अभियोजन निदेशालय को निर्देश दिया कि पता करें कि गजिदर कुमार की ओर से बीते दो साल में जारी किए गए प्रमाण पत्र व पैथ रिपोर्ट के आधार पर कितने आरोपितों की जमानत, अंतरिम जमानत व दोषियों की सजा निलंबित की गई। हत्या का प्रयास मामले में एक आरोपित की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह आदेश दिया। आरोपित ने पत्नी की बीमारी का हवाला देकर जमानत की मांग की थी और नैय्यर ने आरोपित की पत्नी का मेडिकल प्रमाण पत्र बनाते हुए उसकी तत्काल सर्जरी करने का सुझाव दिया था। पुलिस ने मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करके कहा कि छह मामलों में आरोपितों ने परिवार के सदस्यों की बीमारी के आधार पर जमानत की मांग की और सभी का चिकित्सा प्रमाण पत्र डॉ. नैय्यर ने जारी किया था। हालांकि, सत्यापन के दौरान पता चला कि अदालत के समक्ष गुमराह करने वाले तथ्य पेश किए गए थे, क्योंकि अस्पताल के रिकॉर्ड में न तो मरीज का नाम दर्ज मिला और न ही उक्त अस्पताल में सर्जरी करने की सुविधा ही मिली। दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने मार्च में जारी आदेश में कहा था कि डॉक्टर नैय्यर का द्वारका मोड पर नर्सिंग होम है और मेडिकल काउंसिल ने निचली अदालत को उनके खिलाफ एक शिकायत भी भेजी थी। पीठ ने मामले की जांच डीसीपी क्राइम ब्रांच को देते हुए स्पष्ट किया कि अभियोजन द्वारा लगाए गए आरोप के संबंध में अगर जांच में कोई तथ्य सामने आता है क्राइम ब्रांच कानून के हिसाब से अदालत की अनुमति का इंतजार किए बगैर कार्रवाई करने को स्वतंत्र है।

पीठ ने इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल की गई तीनों स्थिति रिपोर्ट व मेडिकल काउंसिल का शिकायत पत्र तत्काल हाई कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग को भेजा जाए, ताकि इन रिपोर्ट को अंतरिम जमानत, नियमित जमानत और सजा के निलंबन के मामलों की सुनवाई करने वाली सभी जिला सत्र अदालतों को भेजा जा सके।

पीठ ने दिल्ली पुलिस का निर्देश दिया कि 16 जुलाई को होने वाली सुनवाई पर ताजा रिपोर्ट पेश करें। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्टैंडिग काउंसल राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि 19 अप्रैल 2019 से 29 नवंबर 2020 तक के लिए लाइसेंस निलंबित होने के बावजूद भी डॉ. नैय्यर प्रैक्टिस करते रहे और प्रमाण पत्र जारी करते रहे।


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