ऑनलाइन दलित चेतना व आदिवासी कवि सम्मेलन का आयोजन
साहित्य अकादमी द्वारा वेबलाइन कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत दलित चेतना व आदिवासी कवि सम्मिलन कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया।
जागरण, नई दिल्ली:
साहित्य अकादमी द्वारा वेबलाइन कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत 'दलित चेतना' व 'आदिवासी कवि सम्मिलन' कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इस मौके पर मुसाफिर बैठा ने 'जाति जाती नहीं' के कुछ अंश पढ़ते हुए कहा 'जाति में मेरा भी अवश जन्म हुआ अवश्य, जैसा कि आपका, जाति मेरी भी हुई, किसी जात का मैं भी हुआ, और यह होते ही, तमाम अन्य जातों का मैं न हुआ, छह हजारेक जातों से दूर हुआ मैं...। इसके अलावा उन्होंने 'कविता का प्लॉट', 'उधार की धार', 'खारिज करने के तर्क' आदि कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर कवि असंगघोष व जयप्रकाश कर्दम ने भी दलित चेतना पर अपनी कविताओं का पाठ किया। वहीं, आदिवासी कवि सम्मेलन में बंजारा आदिवासी समुदाय के तीन कवि जंपन्ना आशिहाल, एन. शांता नायक और रेणुका एल. नायक ने गोरबोली भाषा में अपनी कविताओं का पाठ किया। वहीं, कार्यक्रम संयोजक व अकादमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने बताया कि इस कार्यक्रम की वीडियो अकादमी के यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है।